रांची: झारखंड कांग्रेस में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के गठन की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच AICC के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी के बेहद करीबी और पूर्व आईएएस अधिकारी के. राजू को झारखंड की कमान सौंप कर साफ संकेत दे दिया है कि राज्य में I.N.D.I.A ब्लॉक की सरकार बन जाने के बावजूद कांग्रेस के लिए झारखंड में संगठन विस्तार का एजेंडा पार्टी की प्राथमिकता में है.
कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी के.राजू के साथ रांची आये कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार और राष्ट्रीय सचिव प्रणव झा ने भी साफ कर दिया है कि अब पार्टी में वैसे नेताओं की खैर नहीं जो किसी भी कार्यक्रम में सिर्फ फोटो खिंचाने, रील्स बनाने के लिए शामिल होते हैं और जमीन पर संगठन सशक्तिकरण के लिए कोई काम नहीं करते हैं.
कांग्रेस अब कांग्रेसी नेताओं की करेगी सोशल ऑडिटः प्रणव झा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रणव झा ने कहा कि पार्टी ने यह फैसला किया है कि वह अपने नेताओं का सोशल ऑडिट कराएगी ताकि यह पहचान हो सके कि कौन-कौन नेता समाज के बीच जाकर उनके लिए काम कर रहा है और कौन-कौन ऐसे नेता और पार्टी पदाधिकारी हैं जो पार्टी के कार्यक्रम में विजुअल बाइट देने या रील बनाकर उसे वायरल करने के लिए शामिल होते हैं. प्रणव झा ने कहा कि नवनियुक्त प्रभारी के.राजू सोशल ऑडिट के अच्छे जानकार हैं और उनकी नजर से कोई बच नहीं पाएगा.
संगठन का सृजन करना है, ऐसे में हवा हवाई नेताओं की पहचान जरूरीः सोनाल शांति
मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार प्रणव झा द्वारा हवा हवाई नेताओं को जमीन पर काम करने की दी गयी हिदायत को सही कदम करार देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सोनाल शांति ने कहा कि ऐसे कई नेता हैं जो धरातल पर काम नहीं करते हैं, ऐसे लोगों को एक संदेश दिया गया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि जब पार्टी को मजबूत करने और सशक्तिकरण की जगह सृजनीकरण की बात हो रही है तब निश्चित रूप से बात, बूथ लेवल तक पार्टी को मजबूत करने की है.
यह सही है कि अपने-अपने बूथ पर पराजित कई नेताओं को मिल जाती है संगठन में अहमियतः प्रवक्ता
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इन सभी तथ्यों की जानकारी है कि धरातल पर क्या हो रहा है. झारखंड में भी ऐसे कई नेता हैं जिन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपने-अपने बूथ पर भी कांग्रेस या सहयोगी दलों को भी नहीं जिता सके, वैसे नेताओं को संगठन, बोर्ड, निगम में जगह मिल गई. अब यह सिस्टम बदलेगा.