NC-JCM ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए सभी सैलरी बैंड्स में एक समान फिटमेंट फैक्टर की मांग की है.
नई दिल्ली: द नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वाइंट कंसल्टिव मशीनरी ( NC-JCM) 8वें वेतन आयोग के साथ सभी सैलरी बैंडों में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए एक समान फिटमेंट फैक्टर स्थापित करने के लिए बातचीत कर रही है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी कर्मचारियों को, चाहे उनका वेतन बैंड कुछ भी हो, उनके वेतन में संशोधन होने पर समान मल्टीप्लिकेशन फैक्टर मिलेगा.
बता दें कि NC-JCM नौकरशाहों और श्रमिक संघ के नेताओं से बनी एक आधिकारिक बॉडी है. इसका उद्देश्य सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच किसी भी असहमति को बातचीत के माध्यम से सुलझाना है.
फिटमेंट फैक्टर एक समान हो
NC-JCM (कर्मचारी पक्ष) सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने NDTV प्रॉफिट को बताया, “हम चाहते हैं कि सभी सैलरी बैंडों में फिटमेंट फैक्टर एक समान हो, चाहे वह वेतन बैंड 1 हो या वेतन बैंड 4, 8वें वेतन आयोग के समक्ष यह हमारी मांग रहेगी.” मिश्रा के अनुसार अगर कोई स्टैंडर्ड फिटिंग फैक्टर है, तो सभी कर्मचारियों के लिए पारिश्रमिक संशोधन के लिए समान मल्टीप्लिकेशन फैक्टर का इस्तेमाल किया जाएगा, चाहे वे किसी भी सैलरी बैंड के अंतर्गत आते हों.
रिपोर्ट के मुताबिक सातवें वेतन आयोग के तहत सैलरी बैंड 1 में कर्मचारियों के वेतन को संशोधित करने के लिए 2.57 फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, पैनल ने एक रेशनलाइजेशन इंडेक्स का यूज करके सैलरी बैंड 2 के लिए फिटमेंट फैक्टर को 2.62, सैलरी बैंड 3 के लिए 2.67 और सैलरी बैंड 4 के तहत हाई सैलरी ग्रेड के लिए 2.72 तक बढ़ा दिया था.
सैलरी के बीच के अंतर को कम हो
रिपोर्ट के अनुसार सातवें वेतन आयोग ने रेशनलाइजेशन इंडेक्स को ध्यान में रखते हुए टॉप लेवल के वेतन संशोधन के लिए 2.81 के फिटमेंट फैक्टर का सुझाव दिया है. मिश्रा ने NDTV को बताया, “रेशनलाइजेशन इंडेक्स सैलरी कमीशन द्वारा तय किया जाता है…सामान्य दृष्टिकोण यह है कि अधिक जिम्मेदारी वाले लोगों को अधिक वेतन वृद्धि मिलनी चाहिए, लेकिन हमारी मांग है कि अधिकतम और न्यूनतम वेतन के बीच के अंतर को कम करने के लिए फिटमेंट फैक्टर एक समान होना चाहिए.”
लगातार बढ़ रहा है अंतर
अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ के महासचिव मिश्रा ने एनडीटीवी से कहा, “चौथे वेतन आयोग ने न्यूनतम और अधिकतम वेतन के बीच के अंतर को कम करने की आवश्यकता के बारे में बात की थी, लेकिन तब से, यह अंतर केवल बढ़ता ही गया है. हमारे विचार से, आठवें वेतन आयोग को इस समस्या को हल करने के लिए एक समान फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करनी चाहिए.”
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के साथ एक बैठक में, एनसी-जेसीएम स्टाफ पक्ष ने यह भी मांग की कि अव्यवहारिक वेतनमानों को विलय कर दिया जाए.
मिश्रा ने कहा, “इस पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि गैर-व्यवहार्य पे स्केल सैलरी में ठहराव लाते हैं और इससे एमएसीपी प्रभावित होती है.” 7वें वेतन आयोग के तहत वेतन संशोधन के लिए फिटमेंट फैक्टर पहले सैलरी बैंड के लिए 2.57 और उच्चतम स्तर के लिए 2.81 है.
नाम न बताने की शर्त पर एनसी-जेसीएम के एक अन्य सदस्य ने बताया कि अगर रेशनलाइजेशन इंडेक्स नहीं होता तो सामान्य फिटिंग फैक्टर 2.57 और 2.81 के बीच हो सकता था. कर्मचारी यूनियनों के अनुसार, अगर रेशनलाइजेशन इंडेक्स लागू नहीं किया गया होता तो फिटिंग फैक्टर वेतन बैंड 1 के तहत लोगों के लिए सुझाए गए से अधिक होगा.