माना जा रहा है कि सरकार इस महीने यानी मई में नया पे कमीशन गठित कर सकती है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत के साथ बहुप्रतिक्षित 8वें वेतन आयोग को मंजूदी दे दी थी. इससे कर्मचारियों को अपने वेतन और पेंशन होल्डर्स को अपनी पेंशन में बढ़ोतरी की उम्मीद है. बीते महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा था कि जल्द ही 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाएगा. हालांकि अभी तक इसके पेनल के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है
फिलहाल देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स 8वें वेतन आयोग के गठन का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इस महीने यानी मई में नया पे कमीशन गठित कर सकती है. वहीं, 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
फिटमेंट फैक्टर होता क्या है?
फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा गुणा करने वाला नंबर होता है, जिससे आपकी पुरानी बेसिक सैलरी को नई सैलरी में बदला जाता है. इसमें पुरानी बेसिक को फिटमेंट फैक्टर के साथ मल्टीप्लाई कर दिया जाता है और जो नंबर आता है, वह नई सैलरी होती है.
7वें वेतन आयोग में भी हुआ था फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल?
बता दें कि 1 जनवरी 2016 को जब 7वां वेतन आयोग लागू हुआ था,तब सरकार ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर यूज किया था. इससे सभी कर्मचारियों की सैलरी में ढाई गुना का इजाफा हुआ था. उदारण के लिए अगर उस समय किसी कर्मचारी की बेसिक सैलकी 10 हजार थी, तो उसकी बढ़कर 25,700 पहुंच गई थी.
8वें वेतन आयोग में कितना हो सकता है फिटमेंट फैक्टर?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नए वेतन आयोग में 2.28 से 2.86 के बीच फिटमेंट फैक्टर रख सकता है. अगर ऐसा होता है कि 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में 40 से 50 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है. उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 20000 रुपये है तो उसकी 46,600 रुपये से लेकर 57,200 रुपये तक पहुंच जाएगी.
क्या बेसिक सैलरी में होगी 186 फीसदी की बढ़ोतरी?
अगर आठवें वेतन आयोग में पैनल फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक ले जाता है, तो कर्मचारियों के वेतन में 186 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. हालांकि, सरकार की ओर से इसको लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
5 से 7 पे कमीशन के बीच बढ़ी 554 प्रतिशत सैलरी
उल्लेखनीय है कि 5 वें से 7वें पे कमीशन तक केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में करीब 554 प्रतिशत का उठाल आया है. 5वें वेतन आयोग के समय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 2750 रुपये थी, जिसे छठे वेतन आयोग में बढ़ाकर 7000 रुपये कर दिया गया था, जबकि 7 वें वेतन आयोग में ये बढ़का 18000 रुपये पहुंच गई.