भूमि पर लगी रोक को हटाने के लिए लोग दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। निबंधन कार्यालय में 84 हजार से अधिक भूमि की एक रोक सूची तैयार की गई है जिसमें गड़बड़ियों के कारण जमीन बेचने वालों को परेशानी हो रही है। जमीन को हटाने के लिए अंचल और जिला स्तर के पदाधिकारियों की सहमति और निबंधन कार्यालय के साथ बैठक जरूरी है।
समस्तीपुर। सरकारी स्तर पर जमीन के किस्म गैर मजरुआ आम और खास होने के साथ ही अलग-अलग विभागों और बोर्ड की जमीन को शामिल करते हुए निबंधन कार्यालय में एक रोक सूची तैयार की गई।
इसमें विभाग और बोर्ड ने अपनी अपनी जमीन की खाता खेसरा की जानकारी भेज उसपर रोक लगा दी लेकिन, इस सूची में बहुत सी गड़बड़ी सामने आ रही।
इस वजह से जमीन बेचने वालों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पर रहे। उन्हें अपनी जमीन को रोक सूची से हटवाने को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही। साथ ही समय भी अधिक लग रहा।
बताया गया कि इस समय जिले के करीब 84 हजार से अधिक भूमि को निबंधन विभाग की रोक सूची में शामिल किया गया है।
एक बार रोक सूची में जमीन दर्ज होने बाद में अंचल स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों की सहमति के बाद में उसे निबंधन कार्यालय के साथ बैठक करने बाद में हटाया जा रहा। इसमें समय भी अधिक लग रहा।
बताया गया कि एक साथ दर्जनभर से अधिक मामले होने बाद में ही बैठक की जाती है। इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। यही वजह है कि इससे आमजन परेशान हो रहे।
जमीन बेचने वाले को पता ही नहीं
रोक सूची सार्वजनिक नहीं होने से जमीन बेचने वाले को यह पता ही नहीं चलता कि उसकी जमीन कब और कैसे रोक सूची में पहुंच गई जबकि, वे जमीन पर काबिज होने के साथ ही उसकी लगान आदि भी ससमय भरते चले आ रहे।
एक मामले में पीड़ित ने वर्ष 2020 में ही जमीन का निबंधन कराया। किसी कारण बस उसे जमीन बेचने की जरूरत महसूस हुई। उसने खरीदार से बातचीत तय करने बाद में उसे निबंधन को कागजात की तैयारी आदि शुरू की।
इस दौरान उसे पता चला कि उक्त जमीन सरकार की रोक सूची में शामिल है। अब उसके लिए वह विभाग के चक्कर काट रहे।
बताया गया कि एक बार यदि कोई जमीन रोक सूची में चली गई तो उसे निबंधन कार्यालय और राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक के जरिए ही हटाया जा सकता है।
इसके लिए डीसीएलआर की रिपोर्ट आवश्यक है। रिपोर्ट मिलने पर यदि किसी तरह की कोई त्रुटि या संदेह उत्पन्न हुआ तो उसे रोक सूची से नहीं हटाया जा सकता।
उस मामले में पुनः जांच कराई जा रही। बताया गया कि जमीन के रोक सूची में होने और न होने की जानकारी निबंधन विभाग से ली जा सकती है।
गत बैठक में दो दर्जन मामलों की सुनवाई
राजस्व विभाग और निबंधन कार्यालय की संयुक्त बैठक में करीब दो दर्जन मामलों में सुनवाई की गई। सभी मामलों को एक-एककर सुना गया।
इसमें करीब डेढ़ दर्जन मामलों में सहमति बन सकी जबकि, आधा दर्जन मामलों में पुनः जांच कराने की बात कही गई।
बताया गया कि उक्त बैठक का कोई समय सीमा भी तय नहीं है। बैठक के लिए एक साथ कई मामले जमा होने बाद में ही बैठक की प्रक्रिया पूरी कराई जाती है।
सरकारी जमीन के अलावा वक्फ बोर्ड और केसरे ए हिन्द समेत अन्य कई तरह की जमीन को रोक सूची में डाला गया है। इसकी संख्या जिला में करीब 84 हजार से अधिक है। इसमें मौजूद जमीन पर यदि कोई अपना दावा करता तो उसे आवश्यक प्रक्रिया पूरी करनी होती है। बाद संयुक्त बैठक के जरिए उसे हटाया जाता है। कोई यदि इसकी जानकारी लेना चाहता है तो निबंधन कार्यालय से उक्त जानकारी मिल जाएगी। साथ ही यह भी पता चला जाएगा कि उक्त जमीन पर किसका दावा है।-अमित कुमार मंडल, जिला अवर निबंधक
किस अंचल की कितनी जमीन पर रोक :
1. समस्तीपुर : 8203
2. उजियारपुर : 1072
3. दलसिंहसराय : 5748
4. विद्यापतिनगर: 5705
5. सरायरंजन : 1040
6. पटोरी : 3814
7. मोहनपुर : 634
8. मोहिउद्दीननगर : 911
9. मोरवा : 3085
10. ताजपुर : 5048
11. पूसा : 2294
12. रोसड़ा : 16767
13. कल्याणपुर : 6517
14. वारिसनगर : 1096
15. शिवाजीनगर : 3566
16. हसनपुर : 4391
17. विभूतिपुर : 6881
18. बिथान : 1646
19. सिंधिया : 5474
20. खानपुर : 579
कुल : 84471