बरहड़वा अंचल में जमीन लूट का मामला सामने आया है जिसमें खाता नंबर 187 की 41 बीघा से अधिक जमीन लूटी गई है। रजिस्टर टू के अनुसार 24 लोगों ने यह जमीन अपने नाम करा ली है। एसपीटी एक्ट के उल्लंघन और पोखरों की प्रकृति बदलने के मामले भी सामने आए हैं। जिला प्रशासन सरकारी जमीन की घेराबंदी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है
साहिबगंज। साहिबगंज जिले में जिस तरह जमीन की लूट हुई, उस तरह आंधी आने पर बागीचे में आम की भी लूट नहीं होती है। लोगों ने बरहड़वा अंचल के सिरासीन मौजा के खाता नंबर 187 में करीब 41 बीघा से अधिक भूमि लूट ली। इस खाते में कुल 62 प्लाट थे और 121 बीघा 12 कट्ठा 19 धूर जमीन थी। रजिस्टर टू के अनुसार 24 लोगों ने करीब 41 बीघा जमीन अपने नाम करा ली।
संभव है कि कुछ लोगों का नाम रजिस्टर टू में अब तक न चढ़ा हो। ऐसे में जमीन लूट में शामिल लोगों की संख्या और जमीन और बढ़ सकती है। कुछ लोगों का कहना है कि जमीन को कुछ लोगों को बंदोबस्त किया गया था, लेकिन एसपीटी एक्ट की धारा 27 और 28 के अनुसार, इस जमीन को उसी मौजा के किसी आदिवासी रैयत को ही बंदोबस्त किया जा सकता है।
ऐसे में यहां गैर आदिवासी कहां से आ गए, यह बड़ा सवाल है। दूसरी ओर बंदोबस्त जमीन की खरीद-बिक्री भी नहीं हो सकती तथा उसकी प्रकृति भी नहीं बदली जा सकती, लेकिन यहां दोनों काम हुआ। खाता नंबर 187 में बड़ा-बड़ा करीब दर्जनभर पोखर थे, जिनमें से अधिकतर की प्रकृति बदली जा चुकी है।
वैसे इस मामले में अपर समाहर्ता (एडिशनल कलेक्टर) गौतम भगत ने बरहड़वा सीओ से रिपोर्ट मांगी है। पूरी तरह जांच-पड़ताल के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
प्लाट संख्या 272 में सात लोग चिह्नित:
सिरासीन मौजा के खाता संख्या 187 के प्लाट संख्या 272 में से जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले सात लोग चिह्नित किए गए हैं। इनमें पाकुड़ के पूर्व विधायक अकील अख्तर, मोइनुद्दीन शेख, शेताबुद्दीन शेख, जिदुल हक, तहुल शेख, कासिफ शेख व समीना खातून शामिल हैं।
अकील अख्तर ने तीन बार में जमीन का निबंधन कराया। 17 बीघा 13 कट्ठा छह धुर में से 13 बीघा सात कट्ठा 13 धुर जमीन का निबंधन इन लोगों ने कराया। बताया जाता है कि 1982 में हाजी हशिमुद्दीन शेख आदि ने वह पोखर अपने नाम कराई और टुकड़े-टुकड़े में उसे बेच दिया। उस पोखर की चार बीघा जमीन अब भी हाजी हशिमुद्दीन शेख के पास है।
अपर समाहर्ता गौतम भगत ने जाकर इस मामले की जांच की है। चूंकि उपायुक्त हेमंत सती बाहर हैं, इस वजह से इस मामले में आगे निर्णय नहीं लिया जा सका है। उनके लौटते ही इस पर आगे की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
सरकारी जमीन की होगी घेराबंदी:
जिला प्रशासन सरकारी जमीन की घेराबंदी की तैयारी कर रहा है। सभी अंचलाधिकारियों को अपने यहां की सरकारी जमीन को चिह्नित करने को कहा गया है। जमीन को चिह्नित कर चारों ओर से पिलर गाड़ा जाएगा। अपर समाहर्ता गौतम भगत ने बताया कि उपायुक्त हेमंत सती के निर्देश के आलोक में पूरे मामले की जांच की जा रही है। गलत तरीके से भूमि को अपने नाम कराने वालों पर कार्रवाई तय है।