Wednesday, January 22, 2025

14 या 15 जनवरी, इस साल कब है मकर संक्राति? जानें कुछ परम्पराएं

Share

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्यकारी फलों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान करने से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है. बता दें कि मकर संक्रांति को देश के अन्य जगहों पर उत्तरायण, पोंगल, माघ बिहु और खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. हर साल की तरह इस बार भी मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. लोग 14 और 15 जनवरी में कंफ्यूज हो रहे हैं. बता दें इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर यानी प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. वहीं, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास का महीना भी खत्म हो जाएगा. चलिए इस दिन की कुछ मुख्य परम्पराओं के बारे में जानते हैं.

तिल और गुड़ खाना

मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने की परम्पराएं है. इसका सेवन सीतलता से बचने और स्वस्थ को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता हैं. साथ ही साथ यह एक संकेत हैं की हम जीवन मे मीठे रिश्तों और प्रेम का आदम प्रदान करे. इस दिन तिल और गुड़ दान करने से लोगो के बीच बने कड़वाहट को मिठास मैं बदला जा सकता है.

पतंगबाजी

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मकर संक्रांति पर पतंग उड़ानें की परंपरा भगवान राम से जुडी हुई है. कहा जाता हैं की भगवन राम ने पतंग उड़ाई थी और वह इंद्रलोक मैं चली गयी थी. तब से आजतक लोग पतंग बाज़ी का आन्नद लेते आ रहे हैं.

दान और पूजा

इस दिन विशेष रूप से दान करने की परंपरा हैं लोग पुराने कपड़े, अनाज, तिल, गुड़ और अन्य सामाग्री को गरीबों में दान करते हैं. यह मान्यता है की इस दिन किया गया दान शुभ फाल देता है और पुण्य प्राप्त होता हैं.

गंगा स्नान

कुछ लोग इस दिन गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों मैं स्नान करते हैं और वहीं पर पूजा भी करते है. यह दिन विशेष रूप से पुण्य अर्जित करने और आत्मशुद्धि के लिए माना जाता है.

Read more

Local News