झारखंड सरकार ग्रामीण इलाकों के विकास पर ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर जिला परिषदों को मिलने वाली धनराशि में बढ़ोतरी हुई है। 2020-21 में जिला परिषदों को 1771 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जबकि 2023-24 में यह राशि बढ़कर 2279 करोड़ रुपये हो गई। शहरी निकायों में चुनाव न होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं
रांची। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की राशि अधिक खर्च करने की मंशा से राज्य सरकार काम कर रही है और यह आंकड़ों में दिख भी रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता संभालने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया था और इस निर्देश का असर हो रहा है।
2019-20 के बाद से जिला परिषदों के माध्यम से सरकार की राशि खर्च होने का ट्रेंड बढ़ता ही गया। आंकड़े स्पष्ट तौर पर बता रहे हैं कि शुरुआत के दो वर्षों में पूर्व में स्वीकृत योजनाओं को पूर्ण करने में राशि खर्च हुई। लेकिन, बाद के वर्षों में शहरी क्षेत्रों में नई योजनाएं कम होती गईं।
वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिला परिषदों के बीच 1771 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जबकि निकायों के बीच 1930 करोड़ की राशि आवंटित हुई थी। बाद के वर्षों में शहरी निकायों में खर्च होने वाली राशि कम होती गई।
पिछले वित्तीय वर्ष में आंकड़ों में दोगुना से अधिक का अंतर हो चुका था। 2023-24 में जिला परिषदों के बीच 2279 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ तो नगर निकायों के बीच 940 करोड़ रुपये का।
जाहिर सी बात है कि इसी आवंटित राशि से क्षेत्र में विकास कार्य होते हैं और सरकार की प्राथमिकता का पता चलता है। कम राशि खर्च होने का एक बड़ा कारण शहरी निकायों में चुनाव से चयनित प्रतिनिधियों का टोटा भी माना जा रहा है। कई निकायों में चुनाव नहीं होने का नुकसान वहां के लोगों को उठाना पड़ रहा है।
वित्तीय वर्ष जिप को आवंटन शहरी निकायों को
2020-21 | 1771 | 1930 |
2021-22 | 773 | 1042 |
2022-23 | 1463 | 1267 |
2023-24 | 2279 | 94 |
नोट : राशि करोड़ रुपये में