झारखंड में शराब दुकानों पर खुलेआम लूट मची है। 140 रुपये की बियर 170 रुपये में बेची जा रही है। उत्पाद विभाग की कथित मिलीभगत से दुकानदार मनमानी कर रहे हैं। ब्रांडेड शराब की कमी है और लोकल ब्रांड ही उपलब्ध हैं। फर्जी बैंक गारंटी देने वाली एजेंसियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है जिससे दुकानदारों के हौसले बुलंद हैं।
रांची। राज्य में शराब दुकानों में लूट मची है। दुकानदार खुलेआम लोगों को लूट रहे हैं। उत्पाद विभाग की मौन सहमति ने दुकानदारों का मनोबल बढ़ा रखा है।
दुकानदारों को भी पता है कि नई उत्पाद नीति डेढ़-दो महीने में लागू हो जाएगी, तब तक जितना लूट सकते हैं लूट लें। उन्हें कार्रवाई का कोई भय नहीं। डंके की चोट पर ये लोगों की जेब काट रहे हैं।
जिन दुकानों को शराब बेचने का ठेका है, उन्होंने 31 मार्च 2025 तक की ही बैंक गारंटी दे रखी थी। 31 मार्च के बाद उनका अवधि विस्तार तो हुआ, लेकिन उससे संबंधित न कैबिनेट का अप्रूवल मिला और न हीं उनसे बैंक गारंटी लिया गया।
इसका नतीजा यह है कि उनमें कार्रवाई का कोई भय नहीं। 140 की बियर 170 रुपये में बेच रहे हैं। एमआरपी से पहले भी अधिक की वसूली हो रही थी।
फ्रीज करने के एवज में बियर पर एमआरपी से 10 रुपये अधिक लिए जा रहे थे। अब तो सीधे 30 से 40 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। रांची, धनबाद, हजारीबाग, साहिबगंज सहित विभिन्न जिलों से यही सूचना है। दुकानदार निरंकुश हो चुके हैं।
दुकानदारों का कहना है कि अधिकारियों तक को कमीशन देना पड़ता है, आप शिकायत करेंगे भी तो किसे करेंगे। सब सेट हैं।
ब्रांडेड शराब, बियर आदि आउट ऑफ स्टाक हो चुके हैं। कुल मिलाकर लोकल ब्रांड ही बाजार में उपलब्ध हैं। इक्का-दुक्का लोकल ब्रांड मिल जाएंगे।
बड़े व चर्चित ब्रांड बाजार से गायब हैं। शराब दुकानों का मुआयना करें तो लग जाएगा कि सभी पुराने स्टाक क्लियर करने में जुटे हुए हैं।
फर्जी बैंक गारंटी देने वाली दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों पर नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
राज्य में शराब की बिक्री में शामिल मैन पावर आपूर्ति करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी हजारीबाग की विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड व धनबाद में मार्शन इनेवेटिव सिक्युरिटी प्राइवेट लिमिटेड ने जेएसबीसीएल को फर्जी बैंक गारंटी देकर कार्यादेश लिया था।
दोनों एजेंसियों ने जिन बैंकों की बैंक गारंटी दी थी, उन बैंकों ने भी जेएसबीसीएल को लिखकर दे दिया कि बैंक गारंटी फर्जी है।
इसके बावजूद ये कंपनियां कार्यरत हैं। न इन्हें काली सूची में डाला गया, न इनपर एफआइआर हुआ। कुछ दिन पहले झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार ने भी झारखंड पुलिस के आनलाइन एफआइआर पोर्टल पर लिखित शिकायत कर डोरंडा थाने में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था।
उत्पाद सचिव ने साधी चुप्पी, आयुक्त बीमार, नहीं दिया बयान
इन सभी बिंदुओं पर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार, आयुक्त उत्पाद सह महाप्रबंधक जेएसबीसीएल विजय कुमार सिन्हा को मैसेज व कॉल से संपर्क करने की कोशिश की गई।
उत्पाद सचिव ने न मैसेज का जवाब दिया और न हीं कॉल ही उठाया। पूरे मामले में वे चुप्पी साधे रहे। इसी प्रकार आयुक्त उत्पाद विजय कुमार सिन्हा ने बीमार होने की जानकारी दी और बयान देने से बचते रहे।
