हजारीबाग में एक सरकारी जमीन पर एक समुदाय द्वारा अतिक्रमण का आरोप लगा है. डीसी ने जांच के लिए टीम का गठन किया है.
हजारीबाग: जिले में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कोई नई बात नहीं है. लेकिन जमीन जब थाने के नाम पर आवंटित हो और उसका अतिक्रमण हो जाए तो सवाल उठना भी लाजमी है. दरअसल, हजारीबाग के बड़ा बाजार ओपी का भवन बस स्टैंड के निकट बनना है. यह जमीन चर्च की जमीन से सटी हुई है.
ईसाई समाज ने चर्च की जमीन कहकर निर्माण कार्य शुरू कर दिया. जब बात बढ़ी तो प्रशासन ने काम रुकवा दिया. लेकिन फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. इस बाबत हजारीबाग डीसी ने जांच टीम का गठन कर दिया है. उपायुक्त ने कहा कि जमीन प्रथम दृष्टया खास महल की ही प्रतीत होती है.
सरकारी जमीन के ऊपर अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने वाले मनोज गुप्ता का कहना है कि सरकारी जमीन पर किसी व्यक्ति विशेष या धर्म का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. यह प्रथा शुरू हो गई तो आने वाले दिनों में जिला प्रशासन और सरकार को भारी फजीहत का सामना करना पड़ सकता है.
मामले को लेकर पिछले दिनों चर्च परिसर में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पहुंचे और लोगों के पक्ष को सुना. चर्च की ओर से अपनी दलीलें दी गईं. मौके पर बड़ी संख्या में सीएनआई चर्च से जुड़े लोग उपस्थित थे. लोगों ने एक स्वर में कहा है कि 200 सालों से भी अधिक समय से इस जमीन पर चर्च का कब्जा है. ऐसे में यहां थाना भवन का निर्माण किसी भी परिस्थिति में नहीं होने देंगे. इस पर हजारीबाग एसपी अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि इस जमीन को लेकर जांच की जा रही है.
कोई भी सरकारी जमीन जो खाली पड़ी हुई है, वहां अलग-अलग धर्म के लोग अतिक्रमण करना शुरू कर देंगे. इस मुद्दे को लेकर उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर दी गई है. लेकिन रिपोर्ट आने से पहले निर्माण कार्य कैसे हो रहा है यह भी कई सवाल खड़ा करता है.