हजारीबाग: जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं. वजह है टमाटर की सही कीमत न मिलना. खेत में हजारों किलो टमाटर तैयार हैं, लेकिन कोई खरीदार नहीं पहुंच रहा है. किसान 2 रुपए किलो टमाटर बेचने के लिए भी तरस रहे हैं. स्थिति यह हो गई है कि एक-एक किसान को 6 से 7 लाख रुपए तक का नुकसान झेलना पड़ रहा है. जिले में सैकड़ों किसान हैं, जो लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं. जो अब सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं.
झारखंड का हजारीबाग जिला अपने टमाटर की खेती के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. यहां का टमाटर दिल्ली से लेकर चेन्नई तक पहुंचता है. यही नहीं कोलकाता और मुंबई के बाजार में भी यहां का टमाटर अपना स्वाद बिखेर रहा है. हजारीबाग का टमाटर लेने के लिए व्यापारी दूर दराज से पहुंचते हैं. इस बार किसानों को टमाटर की सही कीमत नहीं मिलने से दोबारा टमाटर की खेती करने से पहले सोचने के लिए विवश हैं.
जिले के कटकमसांडी प्रखंड के नवादा गांव के वीरेंद्र कुमार मेहता बताते हैं कि ‘उन्होंने 10 एकड़ की भूमि लीज पर लेकर टमाटर की खेती की है. जिसमें लगभग 8 लाख की लगत आई थी. केवल 50 हजार का टमाटर 20 से 25 रुपए किलो तक बेचा, फिर अचानक से दाम गिर गया. अब खेत में टमाटर पूरी तरह से पककर तैयार हो चुका है, लेकिन बाजार में खरीदार नहीं है. अगर कोई खरीदने को तैयार भी होता है, तो 2-3 रुपए प्रति किलो से ज्यादा देने को राजी नहीं है’. उन्होंने आगे बताया कि ‘टमाटर को तोड़ने का खर्च ही 2 रुपए प्रति किलो आता है. यानी अगर टमाटर बेच भी दें, तो भी कुछ नहीं बचेगा. अब इतना बड़ा नुकसान हो रहा है कि कर्ज चुकाना भी मुश्किल हो जाएगा’.
जिले में हर साल टमाटर की खेती से मुनाफा कमाने वाले किसान इस बार बड़े संकट में हैं. इस साल बंपर पैदावार हुई है, लेकिन बाजार में मांग कम होने से कीमतें लगातार गिरती जा रही है. हजारीबाग की मंडियों में भी टमाटर अधिक होने के कारण व्यापारी कम दाम में खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो उनकी हालत और खराब हो जाएगी. किसानों की मांग है कि जिले में ऐसे टमाटर के प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जाए जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल पाए.
वहीं राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की कहती हैं कि सरकार की कई योजनाएं प्रोसेसिंग यूनिट बनाने के लिए चलाई जा रही हैं. जरूरत है कि उन सक्षम एफपीओ को आगे आने की, ताकि सरकार यहां पर प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना करें, जिससे किसानों को सही मूल्य मिल पाए