हजारीबागः इन दिनों हजारीबाग में रामनवमी की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. हजारीबाग की रामनवमी कई मायनों में खास है. समाज का हर एक तबका रामनवमी पर्व में अपनी सहभागिता निभाता है. इस कड़ी में रामनवमी को लेकर नई पीढ़ी को परंपरागत हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. लाठी भांजने की परंपरा अब लोग धीरे-धीरे भूलते जा रहे थे. जिसे देखते हुए हजारीबाग के अर्ष कन्या गुरुकुल में दिल्ली और हरियाणा से प्रशिक्षकों के द्वारा बेटियों को लाठी चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि बेटियां भी रामनवमी जुलूस में शामिल हो सकें और करतब दिखा सकें .
हजारीबाग की रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी कहा जाता है. इसका एकमात्र कारण है कि समाज का हर एक तबका रामनवमी में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करता है. रामनवमी की परंपरा नई पीढ़ी तक जाए इसे देखते हुए अर्ष कन्या गुरुकुल में दिल्ली से आए प्रशिक्षक बेटियों को परंपरागत हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. बेटियां भी जमकर लाठी भांजना सीख रही हैं. इस दौरान बेटियां हाथों में लाठी लेकर करतब दिखा रही हैं.
छात्राएं कहती हैं कि वो पुरुष से कम नहीं है. तभी तो हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं. बेटियां लाठी के साथ-साथ तलवार चलाने का भी प्रशिक्षण ले रही हैं. इस दौरान उनके चेहरे में गजब का आत्मविश्वास दिख रहा है. छात्राएं कहती हैं कि शिक्षा के साथ-साथ परंपरागत हथियार चलाना बेहद जरूरी होता है. यह आत्मरक्षा का पहला चरण है. कहा जाए तो एक साथ दो काम हो रहे हैं. रामनवमी की तैयारी भी हो रही है और भविष्य में कैसे खुद को सुरक्षित रखें इसे लेकर भी आत्मबल बढ़ रहा है.
दिल्ली से आई महिला प्रशिक्षक भी बताती हैं कि लाठी चलाने की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. हजारीबाग की रामनवमी की भव्यता बरकरार रहे इसे देखते हुए नई पीढ़ी को रामनवमी को लेकर तैयार किया जा रहा है. जब बेटियां सड़कों पर तलवार और लाठी का करतब दिखाएंगी तो सबके होश उड़ जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि बेटियां सिर्फ घर में खाना बनाने के लिए नहीं है. समय पर हथियार उठाने के लिए भी तैयार हो रही हैं.

गुरुकुल में सिर्फ बेटियां ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे बालक भी परंपरागत हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं. इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए भी दिल्ली से प्रशिक्षक पहुंचे हैं. लड़कों में भी हथियार और लाठी चलने को लेकर उत्साह है. छात्र भी कहते हैं कि शिक्षा के साथ-साथ हथियार चलाना भी जरूरी है. हजारीबाग का रामनवमी इंटरनेशनल है. रामनवमी में हथियार चलाने की परंपरा भी रही है. उस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं.
अर्ष कन्या गुरुकुल की पहल
गुरुकुल के आचार्य कौटिल्य भी कहते हैं कि बेटी हो या बेटा दोनों समाज के अंग हैं. रामनवमी को देखते हुए परंपरागत हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गुरुकुल के वीरांगनाओं और वीरों को परंपरागत हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. रामनवमी पर्व के साथ कई परंपरा भी चली आ रही है. जिसमें हथियार और लाठी का करतब दिखाना भी शामिल है. बदलते जमाने में लाठी और हथियार से करतब दिखाने की परंपरा भी गुम हो रही थी. उस परंपरा को फिर से जीवित करने का प्रयास है.