Saturday, May 31, 2025

‘स्थानीय निकाय चुनाव जल्द कराएं, बकाया राशि पाएं’, वित्त आयोग के अध्यक्ष ने झारखंड सरकार को दिया स्पष्ट संदेश

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16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने झारखंड सरकार से स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आग्रह किया है ताकि केंद्र से बकाया राशि मिल सके अन्यथा 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। आयोग ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन की सराहना की लेकिन प्रति व्यक्ति आय को चुनौती बताया। सरकार ने राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए वित्त आयोग से फार्मूले में बदलाव की मांग की है।

रांची। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने झारखंड सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि स्थानीय निकाय (नगर निकाय और पंचायत) चुनाव जल्द कराए जाएं, ताकि केंद्र से बकाया राशि प्राप्त हो सके।

होटल रैडिशन ब्लू में शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यदि दिसंबर 2025 तक राज्य सरकार स्थानीय निकायों के चुनाव करा लेती है तो पिछले वित्तीय वर्ष की बकाया राशि भी उपलब्ध हो सकती है अन्यथा यह राशि लैप्स हो जाएगी।

इससे झारखंड को लगभग 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। डॉ. पनगढ़िया ने यह भी स्पष्ट किया कि विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज वित्त आयोग के दायरे में नहीं आता।

राज्य सरकार को अनुदान की राशि केंद्रीय बजट से सशर्त दी जाती है, जिसके भुगतान में देरी पर वित्त आयोग का सीधा नियंत्रण नहीं है।

उन्होंने हाल के वर्षों में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन की सराहना करते हुए प्रति व्यक्ति आय समेत अन्य मानकों को चुनौतियां बताई।

उन्होंने कहा कि झारखंड का प्रति व्यक्ति आय कम है। देश में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में झारखंड तीसरे स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश पहले और बिहार दूसरे स्थान पर है। जीएसटी लागू होने से हुए राजस्व नुकसान पर डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि यह झारखंड की नई मांग है।

राज्य ने इस नुकसान की भरपाई के लिए वित्त आयोग के फार्मूले में बदलाव की अपील की है। आयोग ने इसे केवल एक प्रस्ताव के रूप में दर्ज किया है और इस पर अंतिम निर्णय फार्मूले के आधार पर ही लिया जाएगा।

पिछले तीन दिनों से राज्य में विभिन्न संगठनों, संस्थाओं और सरकार के साथ बैठक करने के बावजूद, डॉ. पनगढ़िया ने यह बताने से इनकार किया कि झारखंड का कौन सा क्षेत्र कमजोर है या किसे अतिरिक्त मदद की जरूरत है? उन्होंने बार-बार जोर दिया कि सभी सिफारिशें वित्त आयोग के निर्धारित फार्मूले के आधार पर होंगी।

आयोग की अंतिम रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी। आयोग ने झारखंड के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) के 10-12 वर्षों से लंबित ऑडिट पर सवाल उठाए।

डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि यह वित्तीय प्रबंधन के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने राज्य सरकार से इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की सलाह दी ताकि वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

केंद्र दे 3.03 लाख करोड़, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी हो 55 प्रतिशत – राधाकृष्ण किशोर

16वें वित्त आयोग से राज्य सरकार ने आगामी तीन वर्षों के लिए 303527.44 करोड़ रुपये की मांग रखी है। राज्य के 23 विभागों की मांग के अनुसार इसे आयोग के समक्ष रखा गया है।

इसके अलावा राज्य सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 41 फीसद से बढ़ाकर 55 प्रतिशत करने की मांग उठाई है। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने की राज्य सरकार की मांग पर 16वें वित्त आयोग ने विचार करने का भरोसा दिलाया है। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने इसे लेकर संकेत दिए।

वित्त आयोग के समक्ष राज्य सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने अगले पांच वर्षों (2026-2031) के लिए 303527.44 करोड़ रुपये की मांग रखी ताकि राज्य का आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य बदला जा सके।

उन्होंने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को मौजूदा 41% से बढ़ाकर 55% करने की मांग की। किशोर ने रेखांकित किया कि जुलाई 2022 के बाद से जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने से झारखंड को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक इस मद में राज्य को 61,677 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है।

अपेक्षा से कम राशि मिलने से राज्य का विकास प्रभावित

पिछले अनुभवों का हवाला देते हुए वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्त आयोग को बताया कि 15वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा था, लेकिन केवल 12,398 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। यह राशि राज्य की अपेक्षाओं से काफी कम थी, जिसने विकास कार्यों को प्रभावित किया।

उन्होंने वन आधारित राजस्व वितरण फार्मूले में संशोधन की मांग की, जिसमें सघन वनों के साथ-साथ खुले वनों को भी शामिल किया जाए। 14वें वित्त आयोग ने वन क्षेत्र के लिए 7.5% राशि निर्धारित की थी, जबकि 15वें आयोग ने इसे बढ़ाकर 10% किया, लेकिन वित्त मंत्री ने इसे अपर्याप्त बताया।

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्य में 14.19 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मांग की। उन्होंने वर्षा जल संरक्षण और संवर्धन के लिए भी विशेष मदद पर जोर दिया।

झारखंड में सड़क बुनियादी ढांचे की स्थिति पर चिंता जताते हुए राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि राष्ट्रीय औसत 500 किलोमीटर प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर के मुकाबले झारखंड में यह आंकड़ा केवल 186 किलोमीटर है।

खनिज संपदा से समृद्ध होने के बावजूद खनिज ढुलाई के लिए सड़कों की कमी विकास में बाधा बन रही है। इसके अलावा, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में प्रगति के लिए भी अतिरिक्त सहायता की मांग की गई।

उन्होंने कोयला कंपनियों से 1.36 लाख करोड़ रुपये, जल जीवन मिशन में 5235 करोड़ रुपये और मनरेगा में 1300 करोड़ रुपये की बकाया राशि का मुद्दा उठाया। वित्त मंत्री ने कहा कि इन बकाया राशियों का भुगतान न होने से राज्य की विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

राज्य के साथ नहीं हो भेदभाव – सुदिव्य

नगर विकास और आवास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने वित्त आयोग से स्थानीय निकायों के लिए बकाया राशि पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य आयोग के लिए बड़े-छोटे पुत्र समान हैं और भेदभाव नहीं होना चाहिए।

उन्होंने सुझाव दिया कि 20-25% राशि रोक कर शेष राशि जारी की जा सकती है, ताकि निकायों का विकास कार्य प्रभावित न हो।

उन्होंने झारखंड की अनूठी चुनौतियों प्रदूषण, उग्रवाद, बेरोजगारी और विस्थापन का हवाला देते हुए कहा कि खनिज संपदा से समृद्ध दिखने वाला झारखंड वास्तव में कई समस्याओं का सामना कर रहा है, और इसे अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की आवश्यकता है।

राज्य सरकार की ओर से वित्त आयोग को एक विस्तृत मेमोरेंडम सौंपा गया, जिसमें वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद और पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव शामिल थे।

इस मेमोरेंडम में झारखंड की आर्थिक स्थिति, विकास की जरूरतें और केंद्र से अपेक्षित सहायता का विस्तृत ब्यौरा दिया गया।

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