रांची: महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है. उनका नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा सुनकर देश के सैकड़ों नौजवानों ने उनका साथ दिया. 23 जनवरी 1897 तो ओडिशा के कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस का रांची से भी नाता रहा है.
कभी कांग्रेस नेता रहे सुभाष चंद्र बोस 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में भाग लेने के लिए ट्रेन से चक्रधरपुर और फिर वहां से खूंटी होते हुए रांची के लालपुर पहुंचे थे. तब वे फनींद्रनाथ आइटक के घर पर रुके थे. फनींद्रनाथ आइटक को ब्यूटीफिकेशन ऑफ रांची के लिए अंग्रेजों ने बांकुरा से रांची बुलाया था. वे एक शानदार बिल्डर थे. नेताजी का इस परिवार पर कितना असर हुआ इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उस समय उन्होंने जिन चीजों का इस्तेमाल किया इस परिवार ने उसे आज तक संजो कर रखा है.
फनींद्रनाथ आइकट परिवार ने आज भी अपने घर में उस कुर्सी तक को संभालकर रखा है जिस पर नेता जी बैठे थे. यही नहीं नेताजी ने जिस चप्पल और कंघी का इस्तेमाल किया था, उसे भी इस परिवार ने सुरक्षित रखा था. हालांकि इन्हें इस परिवार ने पुरुलिया स्थित संग्रहालय को दे दिया.
नेताजी के साथ अपने परिवार के लोगों की पुरानी तस्वीर साझा करते हुए विष्णु आइकट कहते हैं कि जब तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत को पता चला कि नेता जी उनके आवास में रुके हैं तो अंग्रेजों ने उनके दादा से कई सवाल किए थे. इससे नाराज गवर्नर ने उनके दादा फनीन्द्रनाथ आइकट को शोकॉज किया. उसके बाद उनके दादा जी ने ब्रिटानिया हुकूमत का कोई भी काम नहीं किया और अपना बकाया पैसा भी छोड़ दिया.
नेताजी को घर का बना खाना ही था पसंद
विष्णु आइकट कहते हैं कि उनकी दादी ने बताया था कि नेताजी को घर का खाना बेहद पसंद था. रामगढ़ जाने से पहले उनकी दादी द्वारा तैयार की गई टिफिन उनके साथ था.
जिस गाड़ी का नेताजी ने किया इस्तेमाल आज भी है वह सुरक्षित
लालपुर में ही आइकट फैमिली के घर से कुछ ही दूरी पर शिवांगी अपार्टमेंट के बेसमेंट में एक विंटेज फिएट कार BRN 70 लगी है. यह डॉ फणीन्द्रनाथ चटर्जी की कार है. डॉ फणीन्द्र नाथ चटर्जी के पुत्र समरेंद्र नाथ चटर्जी बताते हैं कि उस समय में उनके पिताजी ने 4000 रुपए में यह कार खरीदी थी. जब मार्च 1940 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का रामगढ़ आगमन होना था, तब चक्रधरपुर से इसी कार में बैठकर वह रांची आए और फिर यहां से रामगढ़ के लिए रवाना हुए.