Saturday, May 31, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चंडीगढ़ के पत्रकार और यूट्यूबर के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चंडीगढ़ के पत्रकार और यूट्यूबर के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की. उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज के खिलाफ अपमानजनक, और अवमाननापूर्ण टिप्पणी की थी.

इस मामले की सुनवाई भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जिसमें जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और जस्टिस एएस चंदुरकर शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने वरप्रद मीडिया के एडिटर इन चीफ को भी नोटिस जारी किया.उन्होंने ने हाल ही में रिटायर जस्टिस न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था.

सीजेआई ने कहा, “उक्त वीडियो क्लिप में एडिटर इन चीफ ने इस कोर्ट के वरिष्ठ जजों में से एक के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की हैं. यूट्यूब पर व्यापक रूप से प्रकाशित ऐसे आरोपों से न्यायपालिका की प्रतिष्ठित संस्था की बदनामी होने की संभावना ह.। इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, साथ ही इस अधिकार पर उचित प्रतिबंध भी लगाए गए हैं.”

पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को अदालतो के जजों को लेकर अपमानजनक आरोप लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “ये टिप्पणियां अवमाननापूर्ण प्रकृति की हैं, जो न्यायपालिका की संस्था को बदनाम करती हैं.”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि टिप्पणियां बहुत गंभीर थीं और उन्होंने इस मुद्दे का स्वतः संज्ञान लेने के लिए पीठ के प्रति आभार व्यक्त किया. पीठ ने निर्देश दिया कि आपत्तिजनक वीडियो को तुरंत हटा दिया जाए और चैनल को इसे या इसी तरह की सामग्री को फिर से प्रकाशित करने से रोक दिया जाए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हम रजिस्ट्री को अजय शुक्ला के खिलाफ स्वतः संज्ञान अवमानना ​​के रूप में मामला दर्ज करने का निर्देश देते हैं. यूट्यूब चैनल को एक पक्ष प्रतिवादी बनाया जाएगा. अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से अदालत की सहायता करने का अनुरोध किया जाता है.” पीठ ने कहा कि एक अंतरिम आदेश द्वारा यूट्यूब चैनल को वीडियो का प्रकाशन रोकने और इसे तुरंत हटाने से रोकता है.

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