ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नीति कक्कड़ ने स्वर रज्जुओं की देखभाल के उपाय बताए. उन्होंने बाताया कि धूम्रपान, चिल्लाने से आवाज़ पर असर पड़ सकता है.
हम बोलकर अपने जज़्बात, सोच और पहचान जाहिर करते हैं, लेकिन जिस आवाज पर हम इतना भरोसा करते हैं, उसकी देखभाल हम कितनी करते हैं? बदलती जीवनशैली, प्रदूषण, धूम्रपान और आवाज का अत्यधिक इस्तेमाल हमारे वोकल कॉर्ड्स (स्वर रज्जुओं) पर गहरा असर डालता है. गले में मौजूद दो पतले टिशू वोकल कॉर्ड्स कहलाते हैं, जो बोलते समय कंपन करते हैं और हमारी आवाज बनती है. अगर इनका अधिक इस्तेमाल या गलत तरीके से देखभाल की जाए, तो ये सूजन, दर्द या स्थायी क्षति का शिकार हो सकते हैं. वोकल कॉर्ड्स इस पर शिमला की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नीति कक्कड़ ने कुछ अहम जानकारियां साझा कीं.
धूम्रपान और आवाज़ में भारीपन
डॉ. नीति कक्कड़ बताती हैं, ‘धूम्रपान का वोकल कॉर्ड्स पर सीधा असर पड़ता है. इससे रज्जुओं में सूखापन और सूजन आ जाती है, जिससे आवाज़ भारी, कर्कश और कभी-कभी कमजोर हो जाती है. लंबे समय तक धूम्रपान करने से आवाज़ स्थायी रूप से बदल सकती है और गले के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.”
ज्यादा बोलना, चिल्लाना और तनाव का असर
डॉ. कक्कड़ कहती हैं कि ‘जो लोग रोजाना बहुत ज़्यादा बोलते हैं जैसे टीचर, गायक, कॉल सेंटर कर्मचारी या बसों में समान बेचने वाले लोग, उनके वोकल कॉर्ड्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इससे स्वर रज्जुओं में गांठ (nodules) या सूजन की समस्या हो सकती है. तनाव और मानसिक दबाव भी आवाज़ पर असर डालते हैं. कई बार लोग तनाव में अपनी आवाज खो बैठते हैं या उसमें कमजोरी महसूस करते हैं.’
वोकल कॉर्डस में होने वाली आम समस्याएं
- लैरिंजाइटिस (बोलने की अधिकता या संक्रमण से आवाज़ बैठना)
- वोकल नोड्यूल्स या पॉलीप्स (लगातार तनाव के कारण)
- वोकल कॉर्ड पैरालिसिस
वोकल कॉर्डस को प्रभावित करने वाले कारण
- लगातार ज़ोर से बोलना या चिल्लाना – बिना रुके लंबे समय तक बोलते रहना गले पर जोर डालता है और स्वररज्जुओं में सूजन आ सकती है.
- पर्याप्त पानी न पीना – शरीर और गला अगर डिहाइड्रेटेड रहे तो आवाज भारी, कर्कश और थकी-थकी लगने लगती है.
- बार-बार गला साफ़ करना (खंखारना) – ये आदत स्वररज्जुओं पर अनावश्यक दबाव डालती है और नुकसान पहुंचाती है.
- धूम्रपान और शराब का सेवन – इससे गले की नमी खत्म होती है, टिशूज सूखते हैं और आवाज में भारीपन व खराश आ सकती है.
- बहुत ठंडी या बहुत गर्म चीज़ें खाना/पीना – इससे गले में जलन और सूजन हो सकती है, खासकर अगर पहले से खराश हो.
- मुंह से सांस लेना, खासकर सोते समय – नाक की बजाय मुंह से सांस लेने से गला सूखता है और स्वररज्जु कमजोर होते हैं.
- जब आवाज बैठी हो तब भी बोलते रहना – आवाज को आराम न देना स्थिति को और बिगाड़ सकता है.
- गलत तरीके से बोलना – जैसे नाक दबाकर या ज़रूरत से ज़्यादा ऊंची या नीची आवाज में बोलना, जिससे स्वररज्जुओं पर खिंचाव पड़ता है.
- तीखा, मसालेदार और तैलीय भोजन ज़्यादा लेना – इससे एसिड रिफ्लक्स हो सकता है जो सीधे गले और आवाज़ को नुकसान पहुंचाता है.
- माइक का उपयोग न करना जब ज़रूरत हो – बिना माइक के ज़ोर से बोलना, खासकर भीड़ में, आपकी आवाज़ की सेहत को बिगाड़ सकता है.
अपनाएं ये टिप्स
कुछ टिप्स अपनाकर वोकल कॉर्डस में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है. डॉ. कक्कड़ ने बताया कि ‘खूब पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें बहुत ठंडी चीज़ों से बचें धूम्रपान से दूरी बनाएं और जरूरत पड़ने पर आवाज़ को आराम दें. नियमित वॉयस एक्सरसाइज करें, खासकर पेशेवर आवाज उपयोगकर्ताओं के लिए कब डॉक्टर से संपर्क करना है ये बहुत जरूरी है, अगर आवाज़ में लगातार भारीपन, खराश या बैठने की समस्या दो हफ्तों से अधिक बनी रहे, तो ईएनटी विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श लेना चाहिए. आवाज न केवल हमारी पहचान है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का भी प्रतीक है. इसकी देखभाल करना उतना ही जरूरी है जितना शरीर के किसी और अंग की.’
डॉ. नीति कक्कड़ कहती हैं कि आवाज़ भी शरीर की एक भाषा है-इसे नज़रअंदाज़ नहीं, समझना और सहेजना चाहिए. रोज़ की ये आम गलतियां आपकी आवाज़ छीन सकती हैं