Friday, May 16, 2025

सारंडा में माओवादियों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा से भी जूझ रहे सुरक्षा बल के जवान

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पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल में माओवादियों के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बल कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सारंडा कोल्हान और पोड़ाहाट के जंगल बहुत की घने और पहाड़ों से घिरा हुआ है। आईईडी विस्फोटकों और प्राकृतिक आपदाओं जैसे वज्रपात मलेरिया और सांप-बिच्छू से जूझ रहे हैं। जवान विपरीत परिस्थितियों में भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।

चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिला के सारंडा, कोल्हान और पोड़ाहाट के जंगलों में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बल के जवान अंतिम अभियान चला रहे हैं।

इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को कई विपरीत परिस्थिति का भी सामना करना पड़ रहा है। घने और बीहड़ जंगलों में कई प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कई बार परेशानी और नुकसान तक उठाना पड़ रहा है।

सुरक्षा बल के जवान को माओवादियों के द्वारा लगाए गए आईईडी, स्पाईक हाल, बुबी ट्रैप समेत अन्य विस्फोटक के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा वज्रपात, मलेरिया, डेंगू ,सांप, बिच्छू आदि से भी जूझना पड़ रहा है।

सारंडा, कोल्हान और पोड़ाहाट के जंगल बहुत की घने और पहाड़ों से घिरा हुआ है। इसमें माओवादी अपने को सुरक्षा देने के लिए जंगल के मुख्य सड़क, पगडंडी, जंगली रास्ते, पहाड़ के नीचे, पेड़ों के नीचे समेत जहां-तहां आईईडी विस्फोटक लगा कर रखे हैं।

सुरक्षा बल के जवान एसओपी का पालन करते हुए सैकड़ों आईईडी बम को बरामद करने में सफलता हासिल की है। इसके बावजूद कभी-कभी सुरक्षा बल के जवान भी माओवादियों के लगाये आईईडी की चपेट में आ जाते हैं, जिससे उनकी मौत तक हो जाती है।

वहीं, सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए रास्तों में स्पाईक हाल भी लगा दिया जाता है, इससे भी सुरक्षा बलों को नुकसान होता है। जबकि पगला बम या बुबी ट्रैप भी पौधों के टहनियों में फंसा कर रख दिया जाता है। जवान जैसे ही पौधों को हटाना चाहते हैं, बुबी ट्रैप विस्फोट कर जाता है।

इन सभी विस्फोटकों के बाद जवानों को प्राकृतिक आपदा से भी जूझना पड़ता है। इसमें मलेरिया, सांप, बिच्छू के साथ अब वज्रपात भी शामिल हो गया है। जवान माओवादी सर्च ऑपरेशन के दौरान चार-पांच दिन तक घने जंगलों में ही धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं।

वहां उसे गर्मी, ठंडा और बरसात तीनों मौसम का सामना करना पड़ता है। जवान जंगलों में सत्तू, चना, गुड़, बिस्किट, मिक्चर आदि खाकर अभियान में शामिल रहते हैं। जरुरत का पानी खत्म हो जाने पर जंगलों में बने चुंआ व नदियों का पानी इस्तेमाल करने को मजबूर होते हैं।

वहीं, अब बरसात में वज्रपात का भी खतरा पैदा हो गया है। अक्सर माओवादी सर्च अभियान के दौरान सुरक्षा बल के जवान वर्षा होने पर पेड़ के नीचे या झाड़ियों में छूप कर बरसात से बचते हैं।

वज्रपात से अधिकारी की मौत

लेकिन गुरुवार को हुई सारंडा के जंगल में अभियान के दौरान वज्रपात से एक अधिकारी के मौत ने सोचने पर सभी को मजबूर कर दिया है कि सर्च अभियान के दौरान सुरक्षा बल के जवान वर्षा से बचने के लिए क्या सुरक्षा उपाय अपनायेंगे। माओवादियों के साथ सुरक्षा बल के जवान अब प्राकृतिक आपदा से भी जूझने को मजबूर हो रहे हैं।

बीते दिनों ही सर्च अभियान के दौरान वज्रपात की चपेट में आने से सीआरपीएफ के एक अधिकारी की मौत समेत चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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