रांची: सरहुल वैसे तो प्राकृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसके जरिए राजनीति भी खूब होती रही है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. सरहुल जुलूस के दौरान झारखंड की राजनीति के कई बड़े नेता मौजूद रहे. जल, जंगल और जमीन के साथ आदिवासियों को बचाने का संकल्प लिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की मौजूदगी में भी मंच से मौजूदा हेमंत सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए उखाड़ फेंकने का आह्वान किया गया.
आदिवासी समाज से जुड़े नेता सरहुल के मौके पर केंद्रीय सरना समिति के पास बने फ्लाईओवर और उसके रैंप को हटाने की मांग करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे. नाराजगी इतनी थी कि सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ काली पट्टी बांधकर जुलूस में शामिल हुए.
जुलूस में शामिल हुए चंपाई सोरेन, सुदेश महतो, सीपी सिंह समेत कई अन्य नेता
सरहुल के मौके पर निकाले गए जुलूस के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, भाजपा विधायक सीपी सिंह, जेकेएलएम नेता देवेंद्र नाथ महतो समेत कई अन्य राजनेता अल्बर्ट एक्का चौक पर जुटे. इस दौरान हेमंत सरकार की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की जुलूस में महिलाओं के साथ नृत्य करती नजर आईं. इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सरहुल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सरकार आदिवासी विरोधी है और जल, जंगल और जमीन को बचाने के साथ-साथ आदिवासियों की पहचान को भी बचाना जरूरी है.
उन्होंने केंद्रीय सरना समिति स्थल की जमीन को बचाने का आह्वान किया और कहा कि आदिवासी खुद तय करेंगे कि यह जमीन कैसे बचेगी. इस अवसर पर रांची विधायक सीपी सिंह ने सरहुल को आदिवासियों का महान पर्व बताया और कहा कि प्रकृति को बचाए रखने के लिए आदिवासी समूह द्वारा जुलूस निकाला जाता है जो मुख्य सड़क होते हुए सिरमटोली तक जाता है.
आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने सरहुल की बधाई देते हुए कहा कि यह ऐसा पर्व है जो समाज को जोड़ने का काम करता है और इसके माध्यम से लोगों के बीच प्रकृति को बचाए रखने का संदेश जाता है. इस अवसर पर जेकेएलएम नेता देवेंद्र नाथ महतो भी अल्बर्ट एक्का चौक पर मंच बनाकर सक्रिय दिखे. उन्होंने सरहुल की बधाई देते हुए आदिवासियों की पहचान मिटाने की साजिश के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया.