रांची: झारखंड में महागठबंधन सरकार को सुचारू रूप से चलाने और सहयोगी दलों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए झारखंड सरकार ने झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की अध्यक्षता में समन्वय समिति का गठन किया था. लेकिन नई सरकार के गठन के बाद से अब तक इस समन्वय समिति की बैठक नहीं हुई है. जिसे लेकर बीजेपी ने इस समिति को झारखंड पर आर्थिक बोझ करार दिया है और इसे भंग करने की मांग की है.
दरअसल, सरकार को सुचारू रूप से चलाने और सभी सहयोगी दलों के बीच समन्वय बनाते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को सुझाव देने के लिए समन्वय समिति का गठन किया गया था. तीन वर्षों के लिए गठित यह उच्च स्तरीय समन्वय समिति अभी भी सक्रिय है.
राजद नेता व पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता, झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश समेत कई बड़े नेता इसके सदस्य हैं. लेकिन नई सरकार के गठन के बाद से ही समन्वय समिति की बैठक अब तक नहीं हुई है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने झारखंड राज्य समन्वय समिति की वैधता पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में भी समन्वय समिति ने राज्य हित में कोई काम नहीं किया. ऐसा लगता है कि समन्वय समिति का गठन सिर्फ सत्ता में मौजूद महागठबंधन दलों के नेताओं को एडजस्ट करने के लिए किया गया है. उन्होंने झारखंड राज्य समन्वय समिति को राज्य पर वित्तीय बोझ बताया और इसे भंग करने की मांग की
वहीं इसे लेकर किए गए सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि भाजपा को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे जल्द ही समन्वय समिति के अध्यक्ष शिबू सोरेन से मिलकर बैठक की तिथि तय करेंगे.