नई दिल्ली: भारतीय रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा का अभाव खासकर महिला लोको पायलटों के लिए एक बड़ा मुद्दा है, जिसका हल होने जा रहा है. इस सुविधा के होने से महिला लोको पायलट को बड़ी राहत मिलने वाली है. बता दें कि,रेलवे का नया विकसित प्रोटोटाइप लोको मोटिव 9000 एचपी अत्याधुनिक आईजीबीटी-आधारित प्रोपल्शन तकनीक से लैस है. इसके रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक ऊर्जा की खपत को बचाएगा.
इस लोको इंजन में शौचालय की सुविधा होगी, जो महिला ड्राइवरों को बड़ी राहत देगी. गुजरात के दाहोद वर्कशॉप में 9000 एचपी का यह इंजन बनाया जा रहा है, जो कि शक्तिशाली इंजनों में से एक है. इसमें आधुनिक सुविधाएं होंगी, जिसमें टक्कर रोधी कवच तकनीक और अन्य सुविधाएं शामिल होंगी.
विशेष रूप से, इस इंजन में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के लिए लोकोमोटिव के अंदर शौचालय की सुविधा होगी, जो उनके लिए बड़ी राहत होगी. वह इसलिए क्योंकि बड़ी संख्या में इंजनों में यह सुविधा नहीं होती है, जिसके कारण महिला चालकों को शौचालय जाने के लिए अगले स्टेशन का इंतजार करना पड़ता है. इसके अलावा, इस लोको में क्रू केबिन में एसी की सुविधा भी होगी, जो गर्मी के मौसम में बेहतर स्थिति प्रदान करेगी.
गुजरात के दाहोद में कार्यशाला का दौरा करने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “इस लोको में पहले से फिट कवच प्रणाली, एयर कंडीशनर और लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के लिए शौचालय जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी.” सीमेंस ने अपनी वेबसाइट पर दी गई जानकारी में कहा कि भारतीय रेलवे के साथ सीमेंस की साझेदारी, विश्वसनीय, सुरक्षित, कुशल और बुद्धिमान तकनीक प्रदान करने की जिम्मेदारी के साथ नवाचार को जोड़ती है.
इंजन कम पर्यावरणीय प्रभाव और संसाधन खपत के साथ निरंतर लागत प्रभावी संचालन को जोड़ेंगे. प्रौद्योगिकी भागीदार 9000 एचपी इंजनों के निर्माण के लिए दाहोद में रेलवे कर्मचारियों को और इंजनों के रखरखाव के लिए चार डिपो के कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा. यह हाई हार्स पावर वाला लोकोमोटिव भारतीय रेलवे पर माल ढुलाई संचालन के लिए भविष्य का वर्कहॉर्स होगा. सीमेंस ने बताया कि 9000 एचपी इंजनों की अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा होगी.
इंजन को भारतीय रेलवे की उच्च विश्वसनीयता, उपलब्धता, रखरखाव और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि, अंतिम परीक्षण और अन्य छोटे कार्य किए जा रहे हैं जो लगभग 40 दिनों में पूरे हो जाएंगे.