आईटी कंपनियों के वृद्धि परिदृश्य पर वैश्विक अनिश्चितता, व्यापार चिंताएं हावीः विश्लेषक
नई दिल्ली : वैश्विक अनिश्चितता और सबसे बड़े बाजार अमेरिका में सुस्ती की आशंकाओं को देखते हुए विश्लेषक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के वृद्धि परिदृश्य को लेकर चिंतित हैं. विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के कमजोर प्रदर्शन के बाद वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भी आईटी कंपनियों के लिए परिदृश्य निराशाजनक हो सकता है.
विश्लेषकों के मुताबिक, कंपनियों के विवेकाधीन खर्च पर दबाव बढ़ने की आशंका को देखते हुए निकट भविष्य में सुधार की उम्मीदें कम हो गई हैं. उन्होंने कहा कि अगले तीन-छह महीनों में कंपनियों की आय में कमी और चालू वित्त वर्ष के मार्गदर्शन में गिरावट जैसी नकारात्मक खबरें भी आ सकती हैं. आईटी कंपनियों के लिए खुदरा और विनिर्माण खंड अधिक कमजोर माने जा रहे हैं.
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियां अपने ‘अस्तित्व से संबंधित व्यय’ और जेनरेटिव एआई पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं. निकट अवधि में चुनौतियां रहने के बावजूद वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में व्यापक-आर्थिक स्थिरता और एआई से मांग में वृद्धि के कारण स्थिति बेहतर हो सकती है.
इस सप्ताह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा जैसी बड़ी आईटी कंपनियां अपने तिमाही नतीजे जारी करेंगी. इसे लेकर मोतीलाल ओसवाल और एचडीएफसी सिक्योरिटीज जैसी ब्रोकरेज कंपनियों ने सतर्क रुख व्यक्त किया है. उनका मानना है कि अमेरिका में 60 देशों से आयात पर शुल्क बढ़ाए जाने और आर्थिक सुस्ती आने की आशंका से कंपनियों का विवेकाधीन खर्च कम होगा और सौदा संपन्न होने की अवधि भी लंबी होंगी.
विश्लेषक फर्मों के मुताबिक, तमाम कंपनियों के लिए जेनरेटिव एआई महत्वपूर्ण होता जा रहा है, लेकिन यह उनके उत्पादों के मूल्य निर्धारण को भी प्रभावित कर रहा है. अधिकांश बड़ी आईटी कंपनियों से जनवरी-मार्च तिमाही के राजस्व में मामूली गिरावट या स्थिर प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं मध्यम आकार की आईटी कंपनियों के लिए राजस्व वृद्धि की उम्मीदें मिली-जुली हैं.
आईटी कंपनियों के लागत अनुकूलन सौदे जारी रहने की संभावना है, लेकिन वैश्विक क्षमता केंद्रों में बढ़ी हुई गतिविधियां निकट अवधि की वृद्धि संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है. अमेरिकी और यूरोपीय संघ के ग्राहकों द्वारा तकनीकी खर्चों पर सावधानी बरतने और एआई के कारण रोजगार में कमी की आशंकाओं के बीच वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिका के नए शुल्क भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौतियां पेश कर रहे हैं. हालांकि, कुछ लोगों को उम्मीद है कि अमेरिका में सुस्ती आने से आउटसोर्सिंग और प्रौद्योगिकी को लागू करने का रुझान बढ़ेगा.