भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. इसका मतलब है कि मिड और स्मॉल कैप शेयरों में अच्छे रिटर्न के मजबूत संकेत हैं.
मुंबई: पिछले छह महीनों में भारी गिरावट झेलने के बाद स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक फिर से सक्रिय हो गए हैं. यह खुदरा निवेशकों के लिए राहत की बात है, जो व्यापक बाजार खंडों में निवेश करते हैं. आमतौर पर लार्जकैप स्टॉक की तुलना में जोखिम भरा माना जाता है, स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक उच्च रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि बाजार विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक 2023 में बाजार में उछाल के कारण बड़े पैमाने पर ओवरवैल्यूड हैं.
बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 ने एक महीने के बाद एक बार फिर 23,000 का आंकड़ा पार कर लिया है. एक म्यूचुअल फंड विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि लंबी अवधि में पैसे जमा की तलाश करने वाले और इक्विटी बाजार की अस्थिरता को झेलने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के लिए लार्ज और मिडकैप फंड/मल्टीकैप फंड/फ्लेक्सीकैप फंड एक अच्छा दांव हो सकते है.
2024 के सेकंड हाल्फ में शुरू हुए बाजार सुधार के दौरान यह सब बदल गया, जिसमें कई शेयर 60-70 फीसदी तक नीचे आ गए. सुधार को देखते हुए कुछ विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि गुणवत्ता वाले स्मॉलकैप और मिडकैप शेयर कुछ गति प्राप्त करना शुरू कर सकते हैं. लेकिन सवाल यह है कि बाजार ने रिकवरी का सिलसिला शुरू कर दिया है तो क्या स्मॉलकैप और मिडकैप म्यूचुअल फंड का सही समय आ गया.
वेल्थ प्लानर डॉ पंकज मिश्रा ने बात करते हुए बताया कि इस महीने में केवल कुछ रिकवरी हुई है और वैल्यूएशन अभी भी काफी आकर्षक नहीं हैं. डॉ पंकज मिश्रा ने कहा कि मौजूदा वैल्यूएशन और आय वृद्धि में हाल की मंदी को देखते हुए, यह संभावना नहीं है कि वे बहुत कम समय में अपने पिछले उच्च स्तर पर वापस जाएंगे. हालांकि चुनिंदा स्मॉल और मिडकैप शेयरों में वैल्यूएशन में कुछ आराम हो सकता है, लेकिन व्यापक स्तर पर उनका वैल्यूएशन अभी भी बहुत सस्ता नहीं है.
वेल्थ प्लानर डॉ पंकज मिश्रा ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और कम से कम अगले 10 साल तक ऐसा ही रहेगा, इसका मतलब है कि मिड और स्मॉल कैप शेयरों में अच्छे रिटर्न के मजबूत संकेत हैं. म्यूचुअल फंड के जरिए कोई भी निवेश कर सकता है. यह सही समय है.
दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सिस्टमेटिक रूप से यूनिट्स जमा करके स्मॉलकैप और मिडकैप फंड्स में निवेश बढ़ाने का अच्छा समय हो सकता है. लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें इन सेगमेंट से जुड़ी उच्च अस्थिरता को झेलने के लिए जोखिम सहनशीलता भी होनी चाहिए.
भारतीय शेयरों का बड़े, मध्यम और छोटे-कैप में वर्गीकरण पुराना हो चुका है और इसमें बदलाव की जरूरत है, क्योंकि कई कंपनियां जो पहले छोटी थीं, अब आकार में काफी बढ़ गई हैं.
हालांकि धैर्य रखना जरूरी है क्योंकि बाजार में अभी भी गिरावट आ सकती है. क्योंकि कई भू-राजनीतिक जोखिम और कमजोर घरेलू नतीजे बने हुए हैं. रिटर्न की उम्मीदों को कम करना समझदारी है. खासकर नए निवेशकों के लिए जो महामारी के बाद बहुत ज्यादा रिटर्न के आदी हो चुके हैं.