चतरा: केंद्र और राज्य सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं नौनिहालों को शिक्षित करने को लेकर गंभीरता दिखाने के साथ तरह-तरह के वादे करती हो, लेकिन वादों की हकीकत जमीनी स्तर पर खोखली है. जमीनी स्तर पर न तो शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो रही है और न ही नौनिहाल ढंग से शिक्षा हासिल कर पा रहे हैं.
केंद्र और राज्य सरकार के इन्हीं दावों की हकीकत से जुड़ी तस्वीर चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पैनी कला में देखने को मिली है, जहां के नौनिहाल बच्चे तीन सालों से शिक्षा के लिए नहीं बल्कि मिड डे मील के लिए स्कूल जाते हैं.
स्कूल जहां आमतौर पर बच्चे शिक्षा पाने के लिए जाते हैं. लेकिन चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पैनी कला के बच्चे पिछले 3 सालों से स्कूल शिक्षा पाने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ मिडडे मील खाने के लिए पहुंचते हैं. दरअसल स्कूल में कुल 400 बच्चे नामांकित हैं. जिनमें अधिकांश बच्चे आदिवासी और दलित परिवारों के हैं. इन बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है, जिनके जिम्मे विद्यालय के ऑफिशियल कार्यों के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी है.
कार्यालय का कार्य अधिक होने के कारण बच्चों को शिक्षा काफी कम मिल पाती है. जिससे नाराज होकर स्कूल के बच्चों ने न सिर्फ विद्यालय परिसर में धरना दिया बल्कि मिडडे मील का सेवन करने से भी साफ-साफ इनकार कर दिया.
धरना दे रहे स्कूली बच्चे विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति करने की मांग कर रहे थे. बच्चों का कहना है कि हम सभी स्कूल में शिक्षा पाने के लिए नहीं बल्कि मिड डे मील के भोजन के लिए आते हैं. उनका कहना है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन और राज्य सरकार गंभीर नहीं है.
वहीं छात्रों के धरना देने एवं मिडडे मील को खाने से इनकार करने की जानकारी के बाद पहुंचे पंचायत के मुखिया बाबू नंद पासवान ने बताया कि विद्यालय में शिक्षक की कमी है. विद्यालय में 400 बच्चों की शिक्षा के लिए एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गई है, जिन्हें विद्यालय के ऑफिशियल कार्यों से ही फुर्सत नहीं मिल पाती है.
मुखिया ने बताया कि विद्यालय में शिक्षक की कमी को पूरा करने के लिए कई बार उन्होंने भी विभागीय अधिकारियों से बात की लेकिन विद्यालय में शिक्षक की कमी को पूरा नहीं किया जा सका. वहीं विद्यालय में शिक्षक की कमी को लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह शिक्षक प्रेम कुमार भी धरना दे रहे बच्चों की मांग को जायज बताते हैं.
शिक्षक प्रेम कुमार का कहना है कि पिछले तीन वर्षों से विद्यालय के 400 बच्चों का जिम्मा सिर्फ एक शिक्षक के हाथों में है, जिसके कारण विद्यालय के बच्चों को न तो ठीक से शिक्षा मिल पाती है और न ही विद्यालय के अन्य किसी ऑफिशियल कार्य को पूरा किया जा सकता है. जिसके कारण स्कूल के बच्चे अधिकांश दिन सिर्फ मिडडे मील के भोजन का सेवन करके वापस अपने घर लौट जाते हैं.
शिक्षक प्रेम कुमार का भी कहना है कि अगर विद्यालय में दो अन्य शिक्षकों की नियुक्ति हो जाए तो विद्यालय के बच्चों को सुचारू रूप से शिक्षा मिल पाएगी.