Monday, March 3, 2025

विधायक सरयू राय के झारखंड के बकाए से जुड़े सवाल पर बजट सत्र के दौरान सदन में खींचतान हुई है.

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रांची: झारखंड विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश होने से पूर्व प्रश्नकाल के दौरान विधायक सरयू राय के सवाल पर खूब खींचतान होती दिखी. सरयू राय ने सरकार से पूछा था कि अगर राज्य सरकार का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ बकाया है तो क्या राशि का मदवार प्रतिवेदन केंद्र सरकार को भेजा गया है. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या वित्त विभाग बकाया राशि पर ब्याज मांग रहा है. इसपर प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद के जवाब पर पूरक प्रश्न पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर को हस्तक्षेप करना पड़ा.

प्रभारी मंत्री ने कहा कि भारत सरकार की कोयला कंपनियों पर अलग-अलग मद में कुल 1,36,042 करोड़ रुपये 2022 तक का बकाया है. बकाया राशि की वसूली के लिए सीएम और मुख्य सचिव के स्तर पर 26 जून 2020, 2 मार्च 2022, 11 अप्रैल 2022, 23 जनवरी 2023 और 23 सितंबर 2024 को कोयला मंत्रालय के सचिव, मंत्री प्रल्हाद जोशी और पीएम को अर्द्धसरकारी पत्र निर्गत कर अनुरोध किया जा चुका है. उन्होंने बकाया राशि के ब्रेकअप के तौर पर बताया कि जमीन अधिग्रहण के बकाया मद में 1,01,142 करोड़, कॉमन कॉज मद में 32,000 करोड़ और वास्ड कोल मद में 2,900 करोड़ बकाया है. जमीन अधिग्रहण का मामला राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित है.

इस पर विधायक सरयू राय ने कहा कि मुख्य सचिव के 22 मार्च 2022 को केंद्र को भेजे गए पत्र के मुताबिक 2009 तक के बकाया का जिक्र है. इसके तहत 41,142 करोड़ को मूलधन के रूप में दिखाया गया है जबकि 60 हजार करोड़ से ज्यादा राशि सूद के तौर पर जोड़ी गई है. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ब्याज वसूलने की हकदार है.

गरमा गरम बहस के बीच प्रभारी मंत्री ने कहा कि कोल कंपनियों द्वारा कोल ट्रिब्यूनल में पुनरीक्षण वाद दायर किया गया है. ट्रिब्यूनल के पारित आदेश के आलोक में सुनवाई के लिए 1 मार्च 2025 को राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. इसपर भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि इससे साबित हो गया कि सरकार अब तक राजनीति कर रही थी. क्योंकि कमेटी का गठन तो सरयू राय द्वारा सवाल डाले जाने के बाद हुई है.

वहीं सरयू राय ने कहा कि कमेटी बनाना राजनीतिक निर्णय है. यह वैधानिक नहीं हो सकता.इससे साफ है कि राज्य सरकार बकाया वसूली को राजनीतिक मुद्दा बना रही है. इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पिछले दिनों उनकी कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात हुई है. ये लोग पहले बकाया मानने को तैयार नहीं थे. अब सहमति बनी है कि कोयला मंत्रालय और राज्य सरकार की टीम बकाया का आकलन करेगी.

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