कहते हैं अगर मन में इच्छाशक्ति हो तो कामयाबी उसकी कदम चूमती है. कुछ इसी तरह कटिहार के लाल माधवेन्द्र झा ने कर दिखाया है. अपने मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर वह न केवल मायानगरी मुंबई की बॉलीवुड की दुनिया में एक अलग पहचान बना ली है बल्कि अपने अभिनय क्षमता से कई डायरेक्टर व प्रोड्यूशर को अपनी ओर आकर्षित भी किया है.
कटिहार जैसे छोटे शहर से निकलकर मुंबई की बॉलीवुड में पहचान बनाना कोई मामूली बात नहीं है. इसके के लिए माधवेन्द्र को लंबा संघर्ष करना पड़ा है. शहर के बरमसिया निवासी शिवेश झा व हेना झा के पुत्र माधवेंद्र एक मई को रिलीज हो रही निदेशक राजकुमार गुप्ता के फिल्म रेड-2 में सुपरस्टार अजय देवगन का साथ नजर आयेंगे. माधवेन्द्र ने इसके पहले भी कई फिल्मों, सीरियल में अलग-अलग भूमिका में नजर आये थे

अभी कौन सी फ़िल्म किये हैं तथा उसमें आप किस भूमिका में है. इसका जवाब देते हुए माधवेन्द्र ने कहा कि राजकुमार गुप्ता की मूवी रेड टू में काम करने का अवसर मिला है. इस फिल्म में सुपर स्टार अजय देवगन इनकम टैक्स ऑफिसर हैं. फिल्म में उनका एक कोर ग्रुप है. उसी कोर ग्रुप में वह विशाल मिश्रा के किरदार में हैं. अभिनय को लेकर प्रशिक्षण के बारे में पूछे गये सवाल पर माधवेंद्र ने कहा कि दिल्ली के एनएसडी में काम कर रहे राजा से मुलाकात हुई थी. उन्होंने काफी सहयोग भी किया.
एनएसडी में एडमिशन नहीं हो सका. उन्हें पता चल कि हिमाचल प्रदेश के मंडी में ड्रामेटिक आर्ट्स को लेकर फुलटाइम एक इंस्टीट्यूट है हिमाचल कल्चरल रिसर्च फोरम एंड थियेटर है. फिर वह इस संस्थान में अभिनय का कोर्स करने के लिए आवेदन कर दिया. उसके बाद उसे संस्थान से बुलावा आ गया.
यह वर्ष 2004 की बात है. जब मंडी के उस संस्थान में गये तो कई प्रक्रिया के बाद उनका चयन कर लिया गया. वहीं से एक साल का कोर्स किया. उस संस्थान में प्रशिक्षण देने वाले एनएसडी के या तो टीचर रहे हैं या फिर वहां से पास आउट सीनियर आर्टिस्ट रहे हैं.

सत्या में मनोज वाजपेयी के किरदार ने किया इंस्पायर
फिल्मी दुनिया में जाने का विचार कैसे आया. इस पर उन्होंने कहा कि दोस्तों के साथ फिल्म सत्या देखने गया था. वह फिल्म काफी अच्छी लगी. फिल्म में मनोज वाजपेयी का किरदार ने बहुत प्रभावित किया. यह फिल्म एवं मनोज वाजपेयी की किरदार को देखने के बाद उन्हें भी फिल्मी दुनिया में जाने की इच्छा जागृत हुई.
फिल्म देखने के बाद कई पत्र पत्रिकाओं में मनोज वाजपेयी का इंटरव्यू पढ़ा. अन्य एक्टर एंड एक्ट्रेस की इंटरव्यू भी पढ़ते रहे. यह पता चला की मनोज वाजपेयी बिहार से ही जुड़े हैं. इसलिए उनके मन में आया कि वह अभी फिल्मी दुनिया में कदम रख सकते हैं लेकिन अचानक मुंबई जाना उचित नहीं था. पहले एक अच्छे संस्थान से एक्टिंग का ट्रेनिंग लेना उचित था. कुछ दिन कटिहार इप्टा से जुड़े रहे. फिर वह दिल्ली चले गये. वहां इनसे जुड़ने की कोशिश की. पर सफलता नहीं मिली.
कई मूवी व सीरियल किया अभिनय
प्रशिक्षण प्राप्त होने के बाद घर लौट गये. कुछ दिन घर पर रहने के बाद नवंबर 2005 में मुंबई चले आये. शुरुआती दौर में कोई काम नहीं मिला पर उनका स्ट्रगल जारी रहा. उस समय इस तरह के मोबाइल एवं डिजिटल का युग नहीं था. फोटो की हार्ड कॉपी लेकर इधर-उधर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के यहां जाते-जाते रहे. कुछ वर्ष बाद वर्ष 2007-2008 से छोटा-मोटा काम मिलना शुरू हो गया.
पहला काम दूरदर्शन में मिला. उस समय दूरदर्शन में बैरिस्टर रॉय एक डिटेक्टिव सीरियल आता था. उसमें काम मिला. इसके बाद राकेश रोशन की फिल्म क्रेजी फ़ॉर में काम मिला. इसी दौरान राजकुमार संतोषी अजब प्रेम की गजब कहानी फिल्म बना रहे थे. इस फिल्म के लिए भी सलेक्शन हो गया. पिछले तीन चार वर्षों में कई फिल्मों में काम मिला. मूवी सिया में काम मिला. इससे उसकी पहचान और बढ़ गयी.
इसके बाद अपूर्वा मूवी दो साल पहले आयी. इस फ़िल्म में इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर के किरदार में हैं. मधु भंडारकर की इंडिया लॉकडाउन में काम करने का मौका मिला. कई फिल्मों व सीरियल में अलग अलग किरदार में काम करने का मौका मिला है.
परिवार का मिला पूरा सहयोग
प्रारंभिक शिक्षा को लेकर पूछे गये सवाल पर माधवेन्द्र ने कहा, हमारी प्रारंभिक शिक्षा कटिहार जिले के पैतृक गांव कुरसेला के समीप कटरिया में हुई. उसके बाद हम कटिहार शहर के बरमसिया मोहल्ले अपने पिता एवं सभी परिवार के साथ रहने लगे. रेलवे कॉलोनी स्थित आदर्श उच्च विद्यालय से मैट्रिक करने के बाद डीएस कॉलेज की पढ़ाई की है. उसके बाद पटना में पढ़ाई हुई. इस बीच दोस्तों के साथ फिल्म देखना उन्हें पसंद आता था. पढ़ाई के क्रम में पिता एवं परिवार के सदस्य का साइंस पर अधिक जोर देते थे.
साइंस उनके लिए बोझिल विषय था. आर्टस में उनकी अधिक रुचि थी. पिता शिवेश झा कृषि विभाग से जुड़ रहे है. दादा जी उग्र नारायण झा कुरसेला में हेड मास्टर थे तथा तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हुए थे. पिताजी चाहते थे कि सिविल सेवा या कोई सरकारी सेवा में हम जायें. लेकिन मेरी रुचि उधर नहीं थी.