झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में झरिया विधायक रागिनी सिंह ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी से स्टूडेंट्स और अभिभावक दोनों परेशान हैं. शिक्षा मंत्री ने सदन में जवाब दिया कि मनमानी पर रोक के लिए कई कमेटियां बनी हैं. दंड का भी प्रावधान है.
झरिया विधायक रागिनी सिंह ने सोमवार को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी थम नहीं रही है. इससे झारखंड के स्टूडेंट्स और अभिभावक दोनों परेशान हैं. अभिभावकों पर जहां आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं विद्यार्थियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल प्रबंधन नामांकन प्रक्रिया के दौरान ही शुल्क ले लेता है. इसके बाद भी हर साल वार्षिक शुल्क अलग से लिया जाता है. फीस वृद्धि भी हर वर्ष की जाती है. इससे पैरेंट्स पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है.
आर्थिक रूप से परेशान हैं अभिभावक-रागिनी सिंह
विधायक रागिनी सिंह ने स्कूलों की मनमानी पर सदन में कहा कि प्राइवेट स्कूल मनपसंद पुस्तक विक्रेताओं से ही किताबें खरीदने का दबाव बनाते हैं. इसके लिए बच्चों को लिस्ट तक दे दी जाती है. हर वर्ष पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया जाता है और नयी किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है. एडमिशन फीस, स्कूल फीस में लगातार वृद्धि, सिलेबस में बदलाव और हर साल नयी किताबें खरीदने के कारण अभिभावक आर्थिक रूप से परेशान हैं.
मनमानी पर रोक के लिए गठित हैं कमेटियां-रामदास सोरेन
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने झरिया विधायक रागिनी सिंह के सवाल का सदन में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सभी प्राइवेट स्कूलों में शुल्क समिति (फीस कमेटी) गठित की गयी है. प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक के लिए डीसी (उपायुक्त) की अध्यक्षता में जिलास्तरीय कमेटी है. इसमें स्थानीय सांसद और विधायक शामिल हैं. विद्यालय प्रबंधन समिति पर 2.50 लाख रुपए दंड का भी प्रावधान है.