रांची हाई कोर्ट ने ललगुटवा में एक जमीन के दोबारा म्यूटेशन मामले में प्रार्थी पर जुर्माना लगाया और याचिका खारिज की। अदालत ने वृद्ध महिला को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए यह फैसला सुनाया। देवकली देवी ने 1963 में जमीन खरीदी थी लेकिन बाद में धोखे से उसी जमीन को दोबारा बेच दिया गया। हाई कोर्ट ने देवकली देवी के पक्ष में फैसला सुनाया।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने रांची के ललगुटवा में एक ही जमीन का दोबारा म्यूटेशन कराए जाने के मामले में प्रार्थी पर दस हजार का जुर्माना लगाते हुए अपील याचिका खारिज कर दी है।
अदालत ने एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि कि इस जमीन का दोबारा म्यूटेशन कराकर अनावश्यक रूप से वृद्ध महिला को परेशान किया गया है।
इसलिए अपील दाखिल करने वाले अजीत कुमार बरियार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। वर्ष 1963 में देवकली देवी ने ललगुटुवा में 43 डिसमिल जमीन खरीद कर उसका म्यूटेशन कराया था।
- रांची ललगुटवा जमीन विवाद में हाई कोर्ट का अहम फैसला
- दोबारा म्यूटेशन के मामले में प्रार्थी पर 10 हजार का जुर्माना
- अदालत ने एकल पीठ के आदेश को भी रखा बरकरार
जमीन की रसीद भी कट रही थी। इसी बीच पुराने जमीन मालिक के रिश्तेदारों ने वर्ष 2000 में धोखाधड़ी कर अजीत कुमार बरियार को उक्त जमीन दोबारा बेच दी थी। अजीत कुमार बरियार ने यह जमीन बिल्डर को बेच दी थी।
बिल्डर ने उस जमीन की रजिस्ट्री कराकर दोबारा म्यूटेशन करा लिया था और देवकली देवी के म्यूटेशन को निरस्त करा दिया था।
इसके खिलाफ वर्ष 2007 में देवकली देवी की ओर से अनिल कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अनिल कुमार सिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर के दोबारा म्यूटेशन को गलत बताते हुए देवकाली देवी के म्यूटेशन को सही बताया था।
इसके खिलाफ अजीत कुमार बरियार ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील दाखिल की थी। जिस पर हाई कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए अपील खारिज कर दी।