रांची: प्रकृति का पर्व सरहुल को लेकर उत्साह चरम पर है. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रांची के करमटोली आदिवासी हॉस्टल और सिरमटोली केंद्रीय सरना समिति पहुंचे. जहां पर उन्होंने ना केवल पूजा अर्चना की, बल्कि पौधा लगाकर प्रकृति पर्व को यादगार बनाने की कोशिश की.
इस दौरान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चमरा लिंडा ने मांदर बजाया. जिसमें गांडेय विधायक व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन और झारखंड सरकार में मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की एक साथ झूमती नजर आईं. आदिवासी हॉस्टल के छात्र-छात्राओं के साथ सरहुल के मौके पर मुख्यमंत्री ने जमकर नृत्य की और लोगों को सरहुल के बारे में बताया.
करमटोली स्थित आदिवासी हॉस्टल पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरहुल के मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि व्यस्तता की वजह से भले ही आपके बीच समय नहीं दे पाता हूं. लेकिन आपके साथ मैं हमेशा हूं. उन्होंने सरहुल की बधाई देते हुए कहा कि इस हॉस्टल से मेरा जुड़ाव रहा है. यहां के विकास के लिए जो पहले सरकार ने वादा किया था, वह कार्य आने वाले समय में आपको देखने को मिलेगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जो राह दिखाई है, उस परंपरा को और अधिक मजबूती देने की आवश्यकता है. सीएम ने कहा कि हम लोगों पर देवी देवताओं का आशीर्वाद रहा है, जिसके कारण उद्देश्यों को पूरा करने में सफलता मिलती रही है. इस मौके पर विधायक कल्पना सोरेन ने लोगों को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन झूमने-नाचने का है. प्रकृति पर्व को सब मिलकर मनाइए.

वहीं सोशल मीडिया एक्स पर भी सीएम ने राज्यवासियों को सरहुल की बधाई दी. उन्होंने लिखा है कि पिछले कई सालों से सरहुल के मौके पर दो दिन के राजकीय अवकाश की मांग उठ रही थी. आदिवासी समाज के इस पावन पर्व के महत्व को देखते हुए इस वर्ष से 2 दिन के राजकीय अवकाश की घोषणा मैंने की है.
कार्यक्रम में मौजूद एससी, एसटी और पिछड़ा कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने सरहुल की बधाई दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति सभ्यता काफी प्राचीन है. इस पर अभी भी शोध की जरूरत है. मंत्री ने कहा कि आदिवासियों के रीति रिवाज के पीछे साइंटिफिक कारण है. उन्होंने साइंस की बात करते हुए कहा कि सरहुल पर्व का मतलब धरती और सूर्य का समागत का होना है.

सरहुल के कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की भी पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने लोगों को प्रकृति पर्व सरहुल की बधाई देते हुए कहा कि धरती मां को आज के दिन हमलोग रेस्ट देते हैं. जो हमारे पालनहार होते हैं. हमारे पुर्वजों ने जो इस पर्व की महत्ता बताई है. वह आज भी जीवित है और आगे भी इसे जारी रखा जाएगा.