रांचीः राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की व्यवस्था मामूली बातों को लेकर बेपटरी हो जा रही है. ताजा मामला सीएसएसडी और लॉन्ड्री कर्मियों से जुड़ा है. इनको पिछले छह माह से मानदेय नहीं मिला है. इसकी वजह से कर्मियों ने काम करना बंद किया तो अस्पताल में हड़कंप मच गया. रिम्स में कई ऑपरेशन टालने पड़े , लेकिन रिम्स निदेशक के स्तर पर त्वरित एक्शन से मामला सुलझ गया है.
दैनिक कर्मियों की हड़ताल की जानकारी मिलते ही रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार ने अपर निदेशक सीमा सिंह, चिकित्सा अधीक्षक हीरेंद्र बिरुआ, उपाधीक्षक-2 डॉ. राजीव रंजन, उप निदेशक (वित्त) योगेंद्र प्रसाद और आंतरिक वित्तीय सलाहकार आलोक कुमार तपस्वी के साथ बैठक की.
इस मामले में खुद चिकित्सा उपाधीक्षक -2 ने स्वयं एजेंसी के कर्मचारियों से वार्ता की और उनसे भुगतान के विलंब की शिकायत एजेंसी से न करने की जानकारी मांगी. कर्मचारियों ने बताया कि एजेंसी का ठेकेदार यहां नहीं आता है. सुपरवाइजर के स्तर से इसका निराकरण संभव नहीं है. फिर चिकित्सा अधीक्षक और उपाधीक्षक की मध्यस्थता और एजेंसी द्वारा सभी लंबित वेतन का एक सप्ताह के अंदर भुगतान का लिखित आश्वासन देने के बाद कर्मचारी काम पर लौट गए. अब रिम्स की सभी सेवाएं सुचारु हो गई हैं.
निदेशक ने पूछा कि आखिर CSSD और लॉन्ड्री के भुगतान में विलंब क्यों हुआ. इसपर बताया गया कि रिम्स में CSSD और लॉन्ड्री की सेवाएं आउटसोर्सिंग एजेंसी मेडीलैब देती है. निविदा की शर्तों के तहत किए गए समझौते के अनुसार “यदि किसी कारणवश संस्थान द्वारा भुगतान में विलंब हो रहा है, तब भी एजेंसी को अपने कर्मियों को भुगतान करते रहना है” जिसका साफ तौर पर एजेंसी द्वारा पालन नहीं किया गया है. साथ ही पूर्व के कुछ विपत्र एजेंसी द्वारा विलंब से प्रस्तुत किए गए थे. इसके संबंध में एजेंसी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था.
इधर, रिम्स निदेशक डॉ. राज कुमार ने संचिका में विलंब के कारणों को चिन्हित करते हुए 5 दिनों में रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया है. साथ ही उन्होंने तीन दिनों में एजेंसी को भुगतान करने का भी आदेश दिया है. डॉ. राज कुमार ने कहा है कि यदि ठेकेदार की गलती है तो उस पर अनिवार्य सेवाओं को बाधित करने और निविदा शर्तो का अनुपालन नहीं करने पर नियमानुसार एफआईआर भी दर्ज करायी जाएगी.
दरअसल, सीएसएसडी और लॉन्ड्री सेवा से जुड़े दैनिक कर्मियों ने 10 मई को रिम्स प्रबंधन को पत्र देकर अपनी स्थिति से अवगत कराया था. 50 कर्मियों ने स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें पिछले छह माह से मानदेय नहीं मिला है. अगर बकाया नहीं मिला तो 20 मई से काम बंद कर दिया जाएगा