राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन विधेयक अब कानून बन गया है. एक तरफ वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इस कानून का स्वागत भी किया जा रहा है. इसी कड़ी में योग गुरु बाबा रामदेव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने संशोधन को जायज माना है. इसके अलावा रामनवमी और जगहों के नाम बदलने पर भी बयान दिया.
वक्फ कानून पर बाबा रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत में एक संविधान है. अगर वक्फ बोर्ड में संशोधन नहीं होता तो लोग हिंदू, सिख और जैन बोर्ड बनाने की भी मांग उठती. बिल्कुल सही संशोधन किया गया. इसके लिए कानून का विरोध करने वालों पर रामदेव का कहना है कि जो खिलाफत में है, वो अपने वोट बैंक को बटोरने और समेटने की कसरत कर रहे हैं, उनके बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है.
हिंदुस्तान में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध सबके लिए समान रूप से एक संविधान और एक कानून है. यदि वक्फ बोर्ड में संशोधन न करते तो कुछ दिनों में कहा जाता कि हिंदू बोर्ड, सिख बोर्ड और जैन बोर्ड भी बनना चाहिए. फिर तो हम भी कहते कि यहां तो साधु का भी बोर्ड बनना चाहिए, ये कोई बात हुई? पूरे देश का एक विधान, एक झंडा, एक कानून और एक ईश्वर के उपासक है.– बाबा रामदेव, योग गुरु
उत्तराखंड में कुछ जगहों के नाम बदलने पर बाबा रामदेव ने कही ये बात: हाल में ही धामी सरकार ने उत्तराखंड के कुछ जगहों के नाम बदले थे. जिसको लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं. साथ ही सियासत भी हो रही है. इस पर भी बाबा रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ‘हमारा नाम, हमारा धाम और हमारा काम सभी सनातन के अनुरूप होना चाहिए.‘
‘तब ट्रस्ट का नाम ‘दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट’ रख दिया था. इसके बाद चला लगा कि यह दिव्य योग मंदिर तो यहां पहले से ही है. आज कनखल के दिव्य योगी मंदिर और राम मुलख दरबार एकाकार हो गया.‘ दरअसल, बाबा रामदेव आज अपने नए आश्रम के उद्घाटन के अवसर पर कनखल पहुंचे. जहां उन्होंने कनखल स्थित योग के लिए विख्यात राम मुखल दरबार आश्रम के परमाध्यक्ष योग गुरु लालजी के साथ अनुबंध किया.
वहीं, रामनवमी पर सियासत को लेकर भी बाबा रामदेव ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ‘राजनीति से प्रेरित होकर वोट बैंक और ध्रुवीकरण के लिए जो किया जा रहा है, ये सब बंद होनी चाहिए. कोई किसी से घृणा न करें.‘ इसके अलावा रामदेव ने कहा कि ‘आज रामनवमी और नवरात्रि की पूर्णाहुति है. आज से 30 वर्ष पहले उन्होंने इसी हरिद्वार में मां गंगा में डुबकी लगाकर संन्यास लिया था. करीब 32-33 साल पहले आचार्य इंद्रदेव महाराज, गुरु शंकर देव महाराज, गुरु कृपाल देव महाराज से संन्यास लिया था.‘