भारत के 5 सबसे छोटे एयरपोर्ट्स कौन से हैं?
अगर यातायात के सबसे तेज साधन की बात करें तो वो हवाई जहाज हैं. इसके जरिए घंटों का सफर मिनटों में पूरा किया जा सकता है. यही वजह है कि समय बचाने के लिए परिवहन के साधनों में हवाई जहाज को ज्यादा महत्व दिया जाता है. इसके साथ ही ये आरामदायक और सुविधाजनक यात्रा के लिए भी जाना जाता है. आपने भारत में कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के बारे में सुना होगा. कुछ हवाई अड्डे बहुत बड़े होते हैं, जबकि कुछ छोटे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का सबसे छोटा हवाई अड्डा कौन सा है? यदि नहीं जानते तो इस खबर के माध्यम से भारत के 5 ऐसे सबसे छोटे एयरपोर्ट्स के बारे में जान लें…
बालजेक एयरपोर्ट
भारत का सबसे छोटा एयरपोर्ट बालजेक एयरपोर्ट मेघालय में स्थित है, इसे तूरा एयरपोर्ट के नीम से भी जाना जाता है. बता दें, बालजेक हवाई अड्डे में एक ही रनवे है और इसका उद्घाटन अक्टूबर 2008 में हुआ था, इस हवाई अड्डा निर्माण लागत लगभग ₹12.52 करोड़ थी. लगभग 120 एकड़ में फैले इस एयरपोर्ट का 1,100 मीटर का रनवे वर्तमान में चालू नहीं है. इस एयरपोर्ट पर सिर्फ एक किलोमीटर का रनवे देखने को मिलेगा, जिसपर सिर्फ छोटे हवाई जहाजों को ही उतारा जाता है.

बालुरघाट एयरपोर्ट
बालुरघाट एयरपोर्ट पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले में बालुरघाट में स्थित एक सार्वजनिक हवाई अड्डा है. इस एयरपोर्ट का संचालन और स्वामित्व पश्चिम बंगाल सरकार के पास है, जो एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ 30 साल की लीज व्यवस्था के तहत है. बालुरघाट एयरपोर्ट मूल रूप से 2nd वर्ल्ड वॉर के दौरान अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक सैन्य हवाई क्षेत्र था. यह एयरपोर्ट आज 132.66 एकड़ में फैला हुआ है. इसके 100 फीट चौड़े सिंगल पक्के रनवे को हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार से अपग्रेड के लिए लगभग ₹11.35 करोड़ का निवेश मिला है, जिसमें एक एक्सटेंडेड रनवे, बेहतर यात्री लाउंज और मॉडर्न एयर ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी शामिल हैं.
कुल्लू मनाली एयरपोर्ट
कुल्लू मनाली एयरपोर्ट को भुंतर एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. बता दें, कुल्लू मनाली एयरपोर्ट का रनवे 3,691 फीट लंबा है और यह अपने चैलेंजिंग पसपेक्टिव के लिए फेमस है. गहरी घाटी में बसा और ऊंची चोटियों से घिरा यह एयरपोर्ट पायलटों के लिए काफी मुश्किलें खड़ा करता है. दरअसल, पायलटों को यहां लैंडिंग के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कुल्लू-मनाली तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा किए गए इस खूबसूरत लेकिन चुनौतीपूर्ण प्रयास की सराहना पूरा देश करता है.

शिमला एयरपोर्ट
शिमला एयरपोर्ट को आमतौर पर जुब्बरहट्टी एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, शिमला एयरपोर्ट हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है. सिर्फ 1,230 मीटर लंबे रनवे के साथ, एयरपोर्ट को कई परिचालन सीमाओं का सामना करना पड़ता है. हवाई अड्डे का निर्माण एक पहाड़ की चोटी को काटकर और क्षेत्र को समतल करके सिंगल रनवे बनाने के लिए किया गया था. छोटे एप्रन में 01 एटीआर-42 प्रकार के विमान के लिए पार्किंग की जगह है. टर्मिनल आने वाली उड़ानों के लिए 50 व्यक्तियों को संभाल सकता है, लेकिन प्रस्थान करने वाली उड़ानों के लिए केवल 40.

अगत्ती हवाई अड्डा
अगत्ती हवाई अड्डा लक्षद्वीप संघ शासित प्रदेश के अगत्ती द्वीप पर स्थित है. हवाई अड्डे की स्थापना वर्ष 1988 में की गई थी. यह द्वीपसमूह में एकमात्र हवाई पट्टी है, जो भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है. हवाई अड्डे का निर्माण 45.9 एकड़ भूमि पर किया गया है.अगत्ती हवाई अड्डे में 1204 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा एक रनवे है. हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन व्यस्त समय के दौरान 150 यात्रियों को संभाल सकता है. हवाई अड्डे के लिए कोच्चि और बैंगलोर से सीधी उड़ानें हैं और इन शहरों के माध्यम से यह देश के अधिकांश हिस्सों से भी जुड़ा हुआ है.
हवाई अड्डे पर एक ही टर्मिनल है, जिसमें 25-25 यात्री क्षमता है, आगमन और प्रस्थान के लिए. मामूली यात्री यातायात के साथ, हवाई अड्डे पर 1 चेक-इन और 1 सुरक्षा काउंटर है. हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन 566 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.
