हत्या के आरोपी पति अरविंद मिश्रा को कोर्ट ने आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा दी है. इसके साथ ही जुर्माना नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है.
गोपालगंज. मां की निर्मम हत्या के मामले में पिता को उम्रकैद की सजा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने सुनाई. हत्या के आरोपी पति अरविंद मिश्रा को भादसं की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा दी गई. जुर्माना नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा सुनाई गई. बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी कोर्ट ने डीएम को सौंपी है, जब फैसला आया तो कोर्ट में मृतका निक्की देवी के माता-पिता भी मौजूद थे. फैसले के बाद आरोपी पति अरविंद मिश्रा कोर्ट में फफक कर बच्चों के लिए गिड़गिड़ाने लगा. कोर्ट ने कहा कि बच्चों की जिम्मेदारी प्रशासन को दी जाएगी. अभियुक्त के तीन छोटे बच्चे हैं, जिनकी शिक्षा पर जेल जाने के कारण असर पड़ सकता है.
बच्चों की परवरिश करेगा प्रशासन
कोर्ट ने सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया कि एक माह के अंदर मृतका निक्की देवी और अभियुक्त अरविंद मिश्रा की पुत्री रिया कुमारी एवं पुत्र को बिहार सरकार की स्पॉन्सरशिप योजना (जिसमें प्रत्येक बच्चे को वित्तीय सहायता के रूप में चार हजार रुपये मासिक प्रदान किए जाते हैं) के तहत नामांकित कर तत्काल इस योजना का लाभ प्रदान किया जाये. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना का लाभ अधिकतम दो बच्चों को ही मिल सकता है, इसलिए सबसे छोटे बच्चे को बिहार सरकार की परवरिश योजना के तहत शामिल कर उसका लाभ तुरंत दिया जाए. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और डीएम को भी निर्देश दिया गया कि वे न्यायिक आदेश के अनुपालन से संबंधित प्रतिवेदन सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई से प्राप्त करें.
पति ने विवाह जैसे संस्कार को किया कलंकित
कोर्ट में अपर लोक अभियोजक जयराम साह और वरीय अधिवक्ता राजेश पाठक ने कहा कि अभियुक्त ने न केवल पति-पत्नी के बीच विश्वास के रिश्ते का कत्ल किया, बल्कि सनातन परंपरा में विवाह के समय अग्नि के सात फेरे लेकर पत्नी की रक्षा करने की जो प्रतिज्ञा ली थी, उसे भी तोड़ दिया. किन्तु इस मामले में रक्षक ही भक्षक बन गया. वजह केवल यह थी कि पत्नी उसके अवैध संबंधों का विरोध कर रही थी. इसलिए पति ने रास्ते से हटाने के लिए अपनी पत्नी की रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उसने हर संभव प्रयास किया. इस कृत्य से उसने विवाह जैसी संस्था और पति-पत्नी के दांपत्य रिश्ते को कलंकित कर दिया.
एक नजर में घटना क्रम
घटना की तिथि – 04.10.2023
कांड अंकित करने की तिथि – 05.10.2023
पुलिस ने चार्जशीट सौंपी – 20.06.2024
कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किया – 06.09.2024
केस कमिट – 02.03.2025
दोषी करार दिया – 24.03.2025
फैसला की तिथि – 25.03.2025
अभियोजन व बचाव पक्ष से इनका साक्ष्य रहा महत्वपूर्ण
निक्की हत्याकांड में अभियोजन पक्ष से मृतका की मां आशा देवी, पिता सचिदानंद दुबे, राजीव रंजन, कांड के आइओ मनोज कुमार पांडेय और डॉ. शिव शंकर सुमन का बयान दर्ज किया गया, जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता निखिल सिंह की ओर से अशोक कुमार मिश्रा, श्रीराम मिश्रा, नेता मिश्रा और रिया कुमारी के बयान दर्ज कराए गए. इतना ही नहीं, कोर्ट ने पेन ड्राइव में घटना का वीडियो भी महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया.
पति ने अवैध संबंधों का विरोध करने पर की पत्नी की हत्या
सचिदानंद दुबे ने अपनी बेटी निक्की देवी (35 वर्ष) की शादी हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार वर्ष 2009 में कुचायकोट थाना क्षेत्र के इसुआपुर गांव निवासी उमाशंकर मिश्र के पुत्र अरविंद मिश्रा के साथ की थी. शादी के बाद अरविंद मिश्रा के भाई अरुण मिश्रा की पत्नी बबीता देवी (45 वर्ष) ने निक्की देवी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. इस बीच, अरविंद मिश्रा के अवैध संबंधों का निक्की देवी ने विरोध किया, जिससे नाराज होकर 4 अक्टूबर 2023 की सुबह अरविंद मिश्रा ने अपनी भाभी बबीता देवी के साथ मिलकर रस्सी से गला घोंटकर निक्की देवी की हत्या कर दी. हत्या के बाद गले में रस्सी डालकर शव को सीलिंग फैन से लटका दिया गया, ताकि इसे आत्महत्या का रूप दिया जा सके. घटना के बाद मृतका के परिजनों को सूचना दी गई कि उनकी बेटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. सूचना मिलते ही निक्की देवी के माता-पिता मौके पर पहुंचे, लेकिन घर के सभी लोग फरार हो चुके थे. कुचायकोट पुलिस ने शव बरामद कर मामले की जांच शुरू की और कुचायकोट थाना कांड संख्या 308/2023 दर्ज किया.