मुजफ्फरपुर नगर निगम ने लगभग एक दशक बाद शहरी क्षेत्र में मकानों पर प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है
मुजफ्फरपुर नगर निगम ने लगभग एक दशक बाद शहरी क्षेत्र में मकानों पर प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. निगम सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वर्तमान में जनता पर टैक्स का कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा. इसके बजाय, छूटे हुए मकानों का नए सिरे से सर्वे करके प्रॉपर्टी टैक्स की राशि बढ़ाने और सालाना वसूली के लक्ष्य को 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया गया है. शुक्रवार को सशक्त स्थायी समिति के समक्ष निगम प्रशासन ने 619 करोड़ रुपये के अनुमानित आय के साथ बजट पेश किया, जिसे अधूरा बताते हुए और एक दर्जन से अधिक बिंदुओं पर सुधार का सुझाव देते हुए खारिज कर दिया गया. जल्द ही एक और बैठक होगी, जिसमें त्रुटियों को सुधारने के बाद बजट को मंजूरी दी जाएगी. फिर, इसे निगम बोर्ड की बैठक में अंतिम रूप देकर राज्य सरकार को भेजा जाएगा. महापौर निर्मला साहू ने कहा कि बजट किसी भी संस्था के विकास का दर्पण होता है, और इसमें विकास को प्रमुखता देने वाला संशोधन किया जाएगा. वहीं, उपमहापौर डॉ मोनालिसा ने भी बजट में जनहित को प्राथमिकता देने की बात कही है. बजट ऐसा हो, जिससे जनता का सीधे लाभ पहुंचे. मीटिंग के दौरान मुख्य रूप से नगर आयुक्त विक्रम विरकर, उप नगर आयुक्त सोनू कुमार राय, रवि शंकर प्रसाद, पार्षद राजीव कुमार पंकू, अभिमन्यु चौहान, केपी पप्पू, सुरभि शिखा, उमा शंकर पासवान आदि मौजूद थे.
बैठक के मुख्य बिंदु
प्रॉपर्टी टैक्स: वर्तमान में लागू टैक्स से अधिक राशि जनता से नहीं वसूली जाएगी.
राजस्व वृद्धि: छूटे हुए मकानों का सर्वे करके प्रॉपर्टी टैक्स की राशि बढ़ाई जाएगी.
वसूली लक्ष्य: सालाना वसूली का लक्ष्य 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये किया जाएगा.
विकास कार्य: शहरी क्षेत्र में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए मल्टी-स्टोरी पार्किंग, आवारा पशुओं के शवदाह गृह, और लावारिस शवों के दाह संस्कार के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं.
अन्य राजस्व स्रोत: ट्रेड लाइसेंस शुल्क, स्टॉल वसूली, और नक्शा शुल्क से भी राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
इमरजेंसी फंड: 02 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड भी बजट में शामिल किया गया है.
बजट में शामिल प्रमुख विकास कार्य
मल्टी-स्टोरी पार्किंग: 10 करोड़ रुपये.
पशु शवदाह गृह: 7.50 करोड़ रुपये.
हर घर नल जल योजना : 10 करोड़ रुपये.
ठोस कचरा प्रबंधन : 01 करोड़ रुपये.
आकस्मिक दुर्घटना मद : 05 करोड़ रुपये.
पर्यावरण सुविधाएं : 20 करोड़ रुपये.
सार्वजनिक शौचालय : 05 करोड़ रुपये.
ऑडिटोरियम निर्माण : 22 करोड़ रुपये.
लावारिस शवों का दाह संस्कार: 10 लाख रुपये.