Friday, April 18, 2025

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भवनाथपुर में 11 साल पहले पावर प्लांट लगाने का एक वादा किया था. जो अभी भी अधूरा है.

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रांची: आपने उपकार फिल्म का मशहूर गीत ” कसमें वादें प्यार वफा सब बाते हैं बातों का क्या ” जरूर सुना होगा. राजनीति के संदर्भ में यह गीत बेहद प्रासंगिक साबित होती रही है. क्योंकि अक्सर वादे अधूरे रह जाते हैं. गढ़वा जिला का भवनाथपुर क्षेत्र इसका गवाह है.

11 साल पहले यानी 19 फरवरी 2014 को वादा किया गया था कि 1320 मेगावाट क्षमता वाले पावर प्लांट की स्थापना होगी. तब हेमंत सोरेन कांग्रेस के समर्थन से पहली बार सीएम बने थे. उन्होंने शिलान्यास कार्यक्रम में कहा था कि प्लांट के लिए कोल ब्लॉक भी आवंटित है. लेकिन आजतक प्लांट के लिए एक ईंट भी नहीं जोड़ी जा सकी. बात उठी तो राज्य सरकार ने दो टूक कह दिया कि केंद्र सरकार की नाइंसाफी की वजह से प्रोजेक्ट लटक गया. दबाव बढ़ने पर जवाब आया कि जमीन खोजी जा रही है. लिहाजा, भवनाथपुर में उम्मीद की किरण फिर से दौड़ पड़ी है. अब सवाल है कि आखिर किस वजह से इतना अच्छा प्रोजेक्ट लटक गया.

Power Plant in Bhawanathpur

क्या हुआ था 19 फरवरी 2014 को

इस दिन झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिडेट की ओर से भवनाथपुर में थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए शिलान्यास कार्यक्रम रखा गया था. सीएम हेमंत सोरेन ने आधारशीला रखी थी. कार्यक्रम में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री राजेंद्र प्रसाद, भवनाथपुर के तत्कालीन कांग्रेस विधायक अनंत प्रताप देव, डाल्टनगंज के कांग्रेस विधायक के.एन.त्रिपाठी और पलामू से झामुमो सांसद कामेश्वर बैठा शामिल हुए थे. उस दिन सभी माननीयों ने भवनाथपुर वासियों से कहा था कि पावर प्लांट खुलने से रोजगार का सृजन होगा. 24 घंटे बिजली मिलेगी.

सत्ताधारी दल के विधायक ने उठायी मांग

भवनाथपुर में थर्मल पावर प्लांट लगाने की मांग स्थानीय झामुमो विधायक अनंत प्रताव देव ने की है. उनका कहना है कि प्लांट के लिए 4 हजार एकड़ जमीन मौजूद थी. प्लांट 8,500 करोड़ की लागत से बनना था. 1320 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट का शिलान्यास 19 फरवरी 2014 को हुआ था. लेकिन आजतक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ. इसकी वजह से गढ़वा और पलामू के लोगों को बिहार और यूपी की बिजली पर निर्भर रहना पड़ता है. निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए भवनाथपुर पावर प्लांट का निर्माण कार्य होना चाहिए.

Power Plant in Bhawanathpur

वर्षों से बंद है क्रशर प्लांट : अनंत प्रताप देव

झामुमो विधायक अनंत प्रताप देव का कहना है कि मेसर्स टीएफसी कंसल्टिंग लिमिटेड द्वारा 9 जनवरी 2017 को मिनरल बेयरिंग एरिया होने की वजह से उस क्षेत्र को प्लांट के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया. बोकारो स्टील प्लांट ने 514 एकड़ जमीन झारखंड सरकार को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव दिया था. पावर प्लांट के निर्माण के लिए शेष 700 एकड़ जीएम लैंड का अधिग्रहण कर्णपूरा एजेंसी लिमिटेड द्वारा किया जाना था. यहां चूना पत्थर और डोलोमाइट का क्रशर प्लांट भी लगा हुआ था जो वर्षों से बंद था. अब सेल ने क्रशर प्लांट को नीलाम कर दिया है.

झामुमो विधायक ने आरोप लगाया कि 2017 में वहां के जनप्रतिनिधि ने बात को आगे नहीं बढ़ाया. इसकी वजह से 2019 में कोल ब्लॉक भी रद्द हो गया. वहां की जमीन बंजर पड़ी हुई है. लिहाजा, नये सिरे से प्लांट स्थापित करने की कवायद शुरू की जानी चाहिए. उन्होंने अपनी सरकार से आग्रह किया है कि नये सिरे से 2014 के प्रस्ताव को केंद्र सरकार तक ले जाने की जरूरत है.

Power Plant in Bhawanathpur

प्लांट स्थापित करने की होगी कोशिश – योगेंद्र प्रसाद

इस मसले पर मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि उनकी सरकार पावर प्लांट स्थापित करने को लेकर प्रतिबद्ध थी. लेकिन केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द कर दिया. भवनाथपुर में पावर प्लांट खुलता तो बिहार को 60 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश को 25 प्रतिशत और झारखंड को 15 प्रतिशत बिजली मिलती. लेकिन संबंधित जमीन को खनिज धारित बता दिया गया. कोल ब्लॉक का आवंटन भी रद्द कर दिया गया. इसकी वजह से प्रोजेक्ट अधर में लटक गया.

वैसे मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने साफ कहा है कि राज्य सरकार नवीनीकरण पावर प्लांट स्थापित करना चाहती है . जमीन खोजा जा रहा है. जमीन तलाशने में थोड़ा विलंब जरूर हो रहा है. सारी व्यवस्था मिल जाएगी तो प्लांट जरूर स्थापित करने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार इस दिशा में काम करेगी. लिहाजा, एक बार फिर भवनाथपुर में थर्मल पावर प्लांट खुलने की आस जाग गई है.

Power Plant in Bhawanathpur

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