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Saturday, March 1, 2025

मिथिलांचल से भगवान शिव के लिए आया भार! जानें, क्या है तिलक मेला की मान्यता

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देवघर: द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक देवघर का बैधनाथ धाम बेहद खास माना जाता है. क्योंकि यहां पर भगवान भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ मां पार्वती का भी अंश है. ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती के सती होने के बाद उनका हृदय यहीं पर गिरा था. इसीलिए देवघर के बैद्यनाथ धाम पर बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ की पत्नी के घर यानी भगवान शिव के ससुराल से लोग आते हैं और शिवलिंग पर तिलक एवं जलाभिषेक कर पूजा करते हैं. ये शादी से पहले तिलक के आयोजन जैसा एक पूजन कार्यक्रम है.

सनातन धर्म में बसंत पंचमी से ही शुरू होती शिवरात्रि की तैयारी

पौराणिक परंपराओं के अनुसार यह माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ का तिलक होता है. इसी दिन से उनके शादी यानी शिवरात्रि की तैयारी शुरू हो जाती है. शादी से पहले तिलक के लिए उनके ससुराल पक्ष के लोग कांवर के रूप में तिलक चढ़ाने आते हैं. जिसमें वर को सजाने के लिए साज-सज्जा की सामग्रियां मौजूद होती हैं. वधु पक्ष की ओर से आए श्रद्धालु भक्तिभाव से भगवान शिव का तिलक करते हैं.

बसंत पंचमी पर मिथिलांचल के लोग करते हैं भोलेनाथ का जलाभिषेक

परंपराओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मिथिलांचल इलाके से आने वाले लोग ही भगवान भोलेनाथ का तिलक चढ़ाते हैं. उनके द्वारा लाए गए जल से उनका जलाभिषेक किया जाता है. बसंत पंचमी में ज्यादातर कांवरियां दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, सहरसा, मधेपुरा, सीतामढ़ी जिले से आते हैं क्योंकि वह मानते हैं कि मां पार्वती का मायके उनके क्षेत्र में है. इसीलिए वे तिलक का सामान लेकर दूल्हा यानि भगवान भोलेनाथ के घर आते हैं. बसंत पंचमी में कावर लेकर आने वाले कांवरिया को तिलकहरू भी कहते हैं.

श्रावणी मेला से भी प्राचीन है यह मेला

देवघर मंदिर के वरिष्ठ पुजारी दिनेश पंडा बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन होने वाले तिलक को लेकर मेले की शुरुआत हो गई है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर भगवान भोलेनाथ का तिलक एवं जलाभिषेक कर रहे हैं. यह मेला सावन मेले से भी ज्यादा प्राचीन माना जाता है. इस मेले में श्रद्धालुओं की कांवर भी अनूठी होती है और इसी कांवर में भगवान भोलेनाथ के तिलक के साज-सज्जा का सामान आता है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर के आसपास मेले की भी शुरुआत हो गई है. मेले में छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सामान की खरीदारी लोग करते नजर आ रहे हैं.

बसंत पंचमी करीब आते ही बढ़ने लगी श्रद्धालुओं की संख्या

मंदिर में तिलक चढ़ाने और जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या शुक्रवार से बढ़ गई है. मंदिर के पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि शुक्रवार को करीब पचास हजार श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे. बसंत पंचमी के दिन यानी दो एवं तीन फरवरी को दो से तीन लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.

बता है कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. देवघर के विभिन्न चौक चौराहों पर सुरक्षा के साथ-साथ कांवरियों के लिए भी विशेष इंतजाम के दिशा निर्देश अधिकारी और पदाधिकारी को दी गई है.

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