Friday, January 24, 2025

माता-पिता हो जाएं सतर्क, बच्चों में तेजी से बढ़ रहा Diabetes का खतरा, जानें ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण 

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टाइप 2 डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन यानी लॉन्ग टर्म डिजीज है, जो किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है. हालांकि,युवावस्था से पहले इस रोग का होना असामान्य है. बता दें, यह रोग अक्सर धीरे-धीरे शुरू होता है, जिससे बच्चों में इसका पता लगाना और डायग्नोसिस करना मुश्किल हो सकता है. नेशनल डायबिटीज स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, United States में 20 साल से कम आयु के लगभग 210,000 बच्चों और किशोरों में डायबिटीज की पहचान की गई है. स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट, से पता चलता है कि यू.एस. में डॉक्टरों ने 2014 और 2015 के बीच 10-19 वर्ष की आयु के लगभग 5,758 बच्चों और किशोरों में टाइप 2 डायबिटीज का डायग्नोसिस किया.

बता दें, टाइप 2 डायबिटीज एक जीवन भर साथ रहने वाली बीमारी है, जो किसी व्यक्ति को इलाज न मिलने पर गंभीर मेडिकल कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकती है. हालांकि, केयरफूल बैलेंस डाइट, जीवनशैली में बदलाव और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल वाली दवा के साथ, यह स्थिति लंबे समय तक ठीक हो सकती है. इस खबर के माध्यम से हम जानेंगे कि बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण क्या होते हैं और उन्हें यह रोग कैसे हो जाता है…


टाइप 2 डायबिटीज अक्सर धीरे-धीरे और धीरे-धीरे शुरू होता है. इस वजह से, लक्षणों का पता लगाना मुश्किल हो सकता है. बता दें, कुछ बच्चों में कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं. छोटे बच्चों, किशोरों और युवाओं में लक्षण समान होते हैं.

  1. टाइप 2 डायबिटीज वाले बच्चों में यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं जिसमें शामिल है नींद आना या जागने में दिक्कत होना, चिड़चिड़ापन या गुस्सा होना, चिल्लाना, वजन कम होना, बहुत भूख लगना…
  2. बार-बार पेशाब आना:टाइप 2 डायबिटीज वाले बच्चे को पहले की तुलना में अधिक बार पेशाब आ सकता है. जब ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है, तो शरीर उसमें से कुछ को मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देता है.
  3. बहुत अधिक प्यास लगना:टाइप 2 डायबिटीज वाले बच्चे सामान्य से ज्यादा पानी पीना शुरू कर देते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बार-बार पेशाब डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है, जिससे प्यास लगती है.
  4. थकान:जब शरीर ब्लड शुगर का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है, तो बच्चे को थकान हो सकती है.
  5. धुंधला दिखना:हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण आंखों में नमी की कमी होने लगती है यानी आंखों के लेंस से तरल पदार्थ कम हो सकता है, जिससे धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाता है.
  6. स्किन का काला पड़ना:इंसुलिन प्रतिरोध से एकैन्थोसिस निग्रिकन्स नामक स्किन कंडीशन डेवलप हो सकती है, जिससे स्किन के हिस्से काले पड़ सकते हैं. यह अक्सर गाल, गर्दन और गर्दन के पिछले हिस्से को प्रभावित करता है.
  7. घाव भरने में देरी:हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण घावों और स्किन इंफेक्शन को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है.

कारण

बच्चों में हाई ब्लड शुगर, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया भी कहा जाता है, कई कारणों हो सकता है, जिनमें शामिल हैं…

  • यदि परिवार में किसी को डायबिटीज हो, तो बच्चे को भी इस बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
  • बच्चों के आहार में बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट, रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट या ज्यादा मीठी चीजें और कैलोरी से भरपूर स्नैक्स हों का शामिल होना भी इस बीमारी की वजह है. इन आहारों के कारण बच्चों का वजन बढ़ सकता है और टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है.
  • बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी का कम होना, पर्याप्त व्यायाम न करना भी डायबिटीज का कारण हो सकती है.
  • पर्याप्त इंसुलिन या अन्य डायबिटीज की दवा न लेना, या एक्सपायर हो चुके या अनुचित तरीके से संग्रहीत इंसुलिन लेना, ध्यान रखें कि बच्चों को ऐसी दवाएं ना दें, जिनसे उनका रक्त शर्करा बढ़ जाए. बता दें, कॉर्टिकोस्टेरॉइड या कुछ डिकॉन्गेस्टेंट जैसी कुछ दवाएं लेना, जो रक्त शर्करा बढ़ा सकती हैं.
  • फ्लू या किसी अन्य संक्रमण से बीमार होना
  • तनाव महसूस करना या क्रोध या उत्तेजना जैसी भावनाओं का अनुभव करना
  • बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव हों, जैसे कि यौवन की शुरुआत.
  • बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता गलती से पैनक्रियाज पर हमला कर दे.

ध्यान देने वाली बात
हाई ब्लड शुगर लेवल डायबिटीज कीटोएसिडोसिस (DKA) या हाइपर ऑस्मोटिक हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (HHS) का कारण बन सकता है, जो दोनों ही इमरजेंसी कंडीशन हैं. ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाना, अधिक पानी पीना और कम मीठा पेय पीना, स्क्रीन पर समय सीमित रखना और स्वस्थ भोजन खाना ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने का सबसे बेहतरीन उपाय है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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