Friday, January 24, 2025

महाकुंभ में ‘बैल’ और ‘गोल्डन बाबा’ बने आकर्षण का केंद्र, शरीर पर पहनते हैं 6 करोड़ से अधिक का सोना

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महाकुंभ 2025 में गोल्डन बाबा और बैल बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। गोल्डन बाबा अपने चार किलो सोने के आभूषणों से सजे हैं और बैल बाबा के साथ पांच पैरों वाला बैल है। दोनों ही बाबाओं की अनोखी भक्ति और आध्यात्मिकता श्रद्धालुओं को खूब भा रही है। बताया जा रहा है कि गोल्डन बाबा के शरीर पर छह करोड़ से अधिक का सोना है।

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल पूरे जोश के साथ जारी है। हर दिन हजारों श्रद्धालु साधु-संतों के दर्शन के लिए जुट रहे हैं, लेकिन इस बार एक विशेष संत सबसे ज्यादा चर्चा में हैं– ‘गोल्डन बाबा’। अपने चार किलो सोने के आभूषणों से सजे इस संत की महिमा और भक्ति के चर्चे दूर-दूर तक फैल गए हैं।

केरल के रहने वाले गोल्डन बाबा का असली नाम एसके नारायण गिरी महाराज है। निरंजनी अखाड़े से जुड़े हुए हैं और अखाड़े के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज से दीक्षा लेकर संन्यासी बने हैं।

शरीर पर छह करोड़ से अधिक का सोना

गोल्डन बाबा के शरीर पर सोने के आभूषण की कीमत छह करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। वह सोने की अंगूठियां और कंगन, सोने की घड़ी, सोने से जड़ी हुई देवताओं के लाकेट लगी छड़ी, 20 से अधिक मालाएं और सोने का मोबाइल कवर शामिल है।

बाबा के अनुसार, उनके शरीर पर पहना हुआ सोना केवल बाहरी आभूषण नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक जीवन और गुरु भक्ति का प्रतीक है। गोल्डन बाबा कहते हैं कि हर आभूषण का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है। उनके अनुसार, “यह सोना केवल बाहरी दिखावा नहीं, बल्कि मेरी साधना और गुरु के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक है।” वे मानते हैं कि यह आभूषण सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर हैं।

पांच पैरों वाले बैल के साथ महाकुंभ पहुंचे ‘बैल बाबा

महाकुंभ आ रहे विभिन्न स्वरुपों और विशेषताओं वाले बाबाओं में एक नए बाबा का पदार्पण हुआ है। बनारस के आल्हा बाबा, जिन्हें श्रद्धालु ”बैल बाबा” के नाम से जानते हैं, महाकुंभ में विशेष आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। उनकी अनोखी भक्ति और उनके साथ मौजूद पांच पैरों वाले बैल ने श्रद्धालुओं का ध्यान खींच लिया है। वह बनारस से पैदल यात्रा करते हुए महाकुंभ पहुंचे हैं।

वह बताते हैं कि वर्षों से इस दिव्य बैल के साथ घूम-घूमकर भगवान शिव की महिमा का प्रचार कर रहे हैं। बाबा ने संन्यास धारण करने के बाद खुद को भगवान शिव की सेवा में समर्पित कर दिया है और इस बैल को अपनी भक्ति का प्रतीक मानते हैं।बाबा के साथ मौजूद यह बैल अपनी अनोखी शारीरिक बनावट के कारण श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय बन गया है। इस बैल के पांच पैर हैं, जो इसे अद्वितीय बनाते हैं। बाबा का दावा है कि यह बैल दिव्य और चमत्कारी है और भगवान शिव के नंदी का साक्षात् स्वरूप है।

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