धनबाद: कुंभ मेले में भाई, पति, पत्नी और परिवारों के बिछड़ने और फिर से मिलने को लेकर कई फिल्में बनी हैं. तकदीर, कुंभ की कसम, अमर अकबर एंथनी, अधिकार, मेला और धर्मात्मा जैसी ऐसी कई हिट फिल्में हैं जिसे दर्शकों ने काफी पसंद भी किया. लेकिन आज हम जो कहानी बताने जा रहे हैं, वह कहानी तो फिल्मी है पर किसी फिल्म का हिस्सा नहीं है. बल्कि यह एक सच्ची घटना है. लेकिन इस कहानी में थोड़ी ट्रेजडी है.
27 साल पहले जो शख्स घर छोड़ कर चला गया था, अब वह कुंभ मेले में मिला है, वह भी साधु के वेश में. लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि 27 साल बाद वह अपने परिवार को पहचानने से भी इनकार कर रहा है. वहीं उसका पूरा परिवार उसे फिर से घर लाने पर अड़ा हुआ है, परिवार डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है.
धनबाद के भूली स्टेशन के बगल में स्थित श्याम नगर में रहने वाले गंगा सागर यादव का पूरा परिवार उन्हें वापस पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. हो भी क्यों न, 27 साल बाद एक पत्नी को उसका पति, एक बेटे को उसका पिता, एक मां को उसका बेटा और भाइयों को उसका भाई जो मिल गया.
1992 से थे लापता
दरअसल, गंगा सागर यादव 27 साल पहले 1992 में घर छोड़कर चले गए थे. परिवार वालों ने काफी तलाश की लेकिन उनका पता नहीं चला. फिर एक दिन अचानक पूरे परिवार की आंखों और चेहरों पर खुशी दौड़ गई जब रिश्तेदारों ने गंगा सागर का वीडियो और फोटो भेजा. गंगा सागर अब अघोरी साधु बन गए हैं.
रिश्तेदार कुंभ स्नान के लिए गए थे जहां उन्हें गंगा सागर अघोरी साधु के वेश में दिखाई पड़े. रिश्तेदारों ने वीडियो और फोटो बनाकर परिवार वालों को भेजा. गंगा सागर को देखकर परिवार को खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जिसके बाद गंगा सागर की पत्नी धनवत्तो देवी, बेटा कमलेश यादव, भाई मुरली यादव समेत परिवार और आसपास के करीब दस लोग कुंभ पहुंचे. कुंभ पहुंचने पर गंगा सागर अघोरी साधु के वेश में मिले.
सभी ने उनसे बात करने की कोशिश की. लेकिन पहले तो गंगा सागर परिवार वालों से बात ही नहीं करना चाहते थे, वहीं जब बात की तो उन्होंने अपने परिवार वालों को पहचानने से भी इनकार कर दिया. उन्होंने बताया कि वह बनारस के डुमरी के रहने वाले हैं. पत्नी, बेटे और परिवार के अन्य लोगों ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने. अंत में सभी वापस लौट गए.
साड़ी खरीदने निकले थे घर से फिर नहीं लौटे
पत्नी धनवत्तो देवी का कहना है कि 27 साल पहले की बात है, हम लोग गांव में थे. छोटे देवर की शादी थी. उस दौरान वह यहां से निकले थे. वे बोलकर गए थे कि शादी के लिए साड़ी खरीदने जा रहे हैं. उसके बाद उनका कहीं पता नहीं चला. कुंभ से एक रिश्तेदार ने वीडियो भेजा था. जिसमें पति नजर आ रहे थे. जिसके बाद हम उन्हें लाने कुंभ गए थे. उनसे हमारी बात भी हुई. लेकिन वह हमें पहचानने से भी इनकार कर रहे हैं. धनवत्तो देवी ने कहा कि वह मेरे पति हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि मुझे मेरे पति से मिलवाया जाए.
वहीं बेटे कमलेश यादव ने कहा कि हम दो भाई हैं. दूसरे भाई का नाम विमलेश यादव है. जब पिताजी हमें छोड़कर गए, उस समय हम महज दो साल के थे. मेरी मां, भाई, चाचा, गांव के सभी बड़े-बुजुर्ग उन्हें पहचान रहे हैं. अगर वह हमारे पिता नहीं हैं तो वो जिसे अपना परिवार बता रहे हैं, हमें उनसे मिलवा दीजिए. अगर वह डीएनए टेस्ट के लिए तैयार हैं तो हम डीएनए टेस्ट भी कराना चाहते हैं. गंगा सागर की मां कालो देवी कहती हैं कि हम चाहते हैं कि मेरा बेटा किसी तरह मेरे पास वापस आ जाए.
गंगा सागर का दोस्त भी है उनके साथ
गंगा सागर के भाई बद्री यादव और मुरली यादव ने बताया कि 27 साल पहले उनके भाई के साथ उनका एक और दोस्त गया था, उसका नाम राजकुमार गोसाई है. वह बगल में ही रहता था. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. कुंभ में राजकुमार गोसाई भी उसके साथ है. 27 साल पहले राजकुमार के यहां से जाने के बाद उसका पूरा परिवार बिहार के छपरा में शिफ्ट हो गया है.
बता दें कि गंगा सागर यादव का पूरा परिवार मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के पालनपुर बेहरा गांव का रहने वाला है. चार भाइयों में मुरली यादव पहले नंबर पर हैं, प्रयाग यादव दूसरे नंबर पर, गंगा सागर यादव तीसरे नंबर पर, बद्री यादव चौथे नंबर पर हैं. गंगा सागर के दो बेटे छोटे हैं, छोटा बेटा कमलेश और बड़े का नाम विमलेश यादव है. वहीं पत्नी का नाम धनवतो देवी है. गंगा सागर के पिता का नाम स्वर्गीय देवलाल यादव था. पूरा परिवार उन्हें वापस लाना चाहता है.