मिथिला में घर-घर पूजे जाने के बाद भी भागवान राम को होली में महिलाएं देतीं है गाली. महिलाएं राम को मानते हैं पाहुन.
सीतामढ़ी: पूरे भारत में होली रंगों का पर्व है. दुनिया में जहां कहीं भी सनातन धर्मावलंबी है. वहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा होती है. वहीं आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि एक ऐसा क्षेत्र भी है, जहां होली में भगवान श्री राम को जमकर गाली दी जाती है.
राम को पाहुन के तौर पर देते हैं गाली: बिहार के मिथिला के लोग राम को पाहुन के तौर पर गाली देते हैं. यहां भगवान श्रीराम को होली में गाली देने की प्रथा सदियों पुरानी है. ऐसा नहीं है कि यहां उनकी पूजा नहीं होती है, मिथिला के घर-घर में श्रीराम पूजे जाते हैं. लेकिन मिथिला के लोग उन्हें दामाद (पाहुन) के तौर पर गाली भी देते हैं. होली में महिलाएं उनके नाम से गाली जरूर देती हैं.
होली में भगवान राम पड़ती है गाली: मिथिला के लोग भगवान राम हल्के-फुलके और मजाकिया अंदाज में गाने गाते हैं. गीत के माध्यम से एक मजेदार सवाल पूछा जाता है कि ‘राम जी से पूछे जनकपुर की नारी, बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी?’ इसका मतलब होता है कि भगवान राम से पूछा जाता है कि जनकपुर की नारी (माता सीता) यह जानना चाहती है कि बबुआ लोग गाली क्यों देते हैं? यह गीत होली और शादी विवाह में महिलाएं खास तौर पर गाती हैं.

“यह परंपरा आज से नहीं त्रेता युग से ही चली आ रही है. यहां के लोग विशेष कर होली में इस परंपरा का निर्वहन करते हैं और यह अधिकार मिथिला के लोगों को ही है कि वह भगवान राम के साथ मजाक कर सकते हैं.”– श्रवण कुमार, सदस्य, पुनौरा धाम तीर्थ ट्रस्ट
राम को क्यों कहते हैं पाहुन? बताया जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम और माता सीता की शादी राजा जनक की नगरी जनकपुर में हुई. जिसके बाद से मिथिला के लोग भगवान राम को पाहुन कहते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के साथ मजाक करने का हक से पूरे विश्व में मिथिला और विशेष कर सीतामढ़ी के लोगों को है. इसीलिए सीतामढ़ी सहित मिथिला के लोग अपने पाहुनी को होली के गीत के माध्यम से मजाक करते हैं. मिथिला की परंपरा के अनुसार अपने पाहुन को गाली भी देते हैं.

भगवान राम के रूप में दामाद पाने का गौरव: मिथिलावासी को भगवान राम के रूप में दामाद पाने का गौरव है, तभी तो यहां आज भी हर दूल्हे में राम की छवि देखी जाती है. मिथिलावासियों को दृढ़ विश्वास है कि अवध नरेश राम का नाम मिथिला की बेटी जनक दुलारी जानकी (सीता) के प्रताप से है.
पुनौरा धाम में माता सीता का हुआ था जन्म: त्रेता युग में जब राजा जनक के राज्य में अकाल पड़ा था तब ऋषि मुनियों के कहने पर राजा जनक ने हलेश्वरी यज्ञ किया था. वर्तमान के हलेश्वर स्थान से हल चलाया था हल चलते-चलते जब राजा जाना पुनौरा धाम पहुंचे तो हल धरती के गर्भ में एक घड़े से टकरा गया और वहीं से माता-सीता की उत्पत्ति हुई थी. उसके बाद खूब वर्षा हुई थी तब से ही पुनौरा धाम को शक्तिपीठ कहा जाता है.

माता सीता का ननिहाल: जनकपुर को लोग जगत जननी सीता का ननिहाल भी मानते हैं. लोगों का मानना है कि जो मिथिलावासी यहां नहीं आते, वह अगले जन्म में कौआ होते हैं. मिथिला वासियों की मान्यता है कि श्रीराम की जननी कौशल्या तो इस लोक को छोड़कर पतिलोक में चली गई लेकिन जानकी जी (सीता) की माता पृथ्वी जन कल्याण के लिए कल्पांतर तक यहीं रहेंगी.
बौद्धिक परंपरा के लिये देश-विदेश में जाना जाता मिथिलांचल: उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई के इलाके को पौराणिक काल से मिथिला या मिथिलांचल के नाम से जाना जाता है. धार्मिक ग्रंथ रामायण, महाभारत, पुराण एवं जैन तथा बौद्ध ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख है. मिथिला प्राचीन भारत में एक राज्य था और अपनी बौद्धिक परंपरा के लिये देश-विदेश में जाना जाता रहा है. बीच के कुछ दिनों तक यहां तीर भुक्ति (तिरहुत) की राजधानी स्थित थी. इसलिए लोग इसे तिरहुत भी कहते हैं.