पटना : मोदी सरकार के बजट में चुनाव से पहले बिहार को कई सौगातें मिली हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना 8वां बजट पेश करते हुए बिहार को तीन ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का ऐलान किया. वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार में तीन ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाएगा. इससे हवाई यातायात बढ़ेगा और कनेक्टिविटी और बेहतर होंगी.
बौद्ध पर्यटन स्थल पर सरकार की नजर : इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बिहार के लिए केंद्र ने बड़ी घोषणा है. सरकार की ओर से राजगीर, सोनपुर और भागलपुर में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट निर्माण को हरी झंडी दी गई है. तीनों जगह ऐसे हैं जो किसी न किसी रूप में बौद्ध धर्म से जुड़े हैं.
”ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बिहार जैसे राज्य के लिए महत्वपूर्ण है. इसमें पर्यावरण का ख्याल रखा जाता है और कम से कम प्रदूषण हो इसके लिए व्यवस्था की जाती है. राजगीर, भागलपुर और सोनपुर तीनों जगह ऐसे हैं जो किसी न किसी रूप में बौद्ध धर्म से जुड़े हैं.”– डॉक्टर विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री
बजट में 3 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की घोषणा : वित्त मंत्री के मुताबिक, बिहार में तीन ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पटना एयरपोर्ट और बिहटा एयरपोर्ट (ब्राउनफील्ड) के अतिरिक्त है. बता दें कि उड़ान योजना की सफलता को और आगे बढ़ाते हुए यह घोषणा की गई है. अब आइए जानते हैं कि आखिर ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट होता क्या है और यह आम एयरपोर्ट से कैसे अलग होता है?
क्या है ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट : ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण ऐसी जमीन पर होता है, जहां पहले से कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया गया हो. आसान भाषा में समझें तो खाली या नई जमीन पर बनाए गए एयरपोर्ट को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट कहा जाता है.
आम एयरपोर्ट और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट में फर्क : आम एयरपोर्ट और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट में सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि आमतौर पर ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शहर से काफी दूर बनाता जाता है, ताकि शहर में मौजूद एयरपोर्ट के ट्रैफिक को कम किया जा सके. ऐसे एयरपोर्ट को बनाने में पर्यावरण का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है. वहां हरियाली का ख्याल रखा जाता है. पेड़-पौधे के अलावा जगह-जगह पर झाड़ियों को भी छोड़ दिया जाता है.
नए सिरे से भूमि का होता है अधिग्रहण : ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के पास इतनी जमीन होती है कि बाद में भी इसका विस्तार भी किया जा सकता है. तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं पर्यटकों के लिए बहाल की जाती है. सरकार नए सिरे से भूमि का अधिग्रहण करती है और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को विकसित किया जाता है.
2500 एकड़ से अधिक भूमि में किया है निर्माण : इसका निर्माण ढ़ाई हजार एकड़ से अधिक की जमीन पर किया जाता है. इसमें 1800 से अधिक यात्रियों की क्षमता होती है. मुख्य रूप से शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किया जाता है और इसके निर्माण में 1500 करोड़ से अधिक खर्च होते हैं. अब आइये ग्राफिक्स के जरिये समझते हैं कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की जरूरत क्यों होती
क्या है ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पॉलिसी : सरकार ने इसके लिए एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा (GFA) पॉलिसी, 2008 तैयार किया है. सिविल एविएशन की रिपोर्ट की मानें तो ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के कामकाज पर नजर रखने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी होती है. इससे जुड़े तमाम अधिकार इस कमेटी के पास होता है. ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण से संबंधित सरकारी एजेंसी की हरी झंडी जरूरी होती है. जमीन की पहचान करनी होती है. साइट क्लीयरेंस और मंजूरी के बाद निर्माण कार्य शुरू होता है.
देश में कितने ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट? : अभी देश में 10 से ज्यादा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे चालू हैं, जिनमें दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), शिरडी (महाराष्ट्र), कन्नूर (केरल), पाक्योंग (सिक्किम), ओरवाकल (कुर्नूल), सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र), कुशीनगर (उत्तर प्रदेश), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), मोपा (गोवा) कलबुर्गी (कर्नाटक) और शिवमोग्गा (कर्नाटक) आदि शामिल है. जबकि भारत सरकार ने 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे
”ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के जरिए बिहार में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. इससे उद्योग का भी विकास होगा. ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पर इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है.”– डॉक्टर अविरल पांडे, अर्थशास्त्री