Tuesday, March 18, 2025

बार-बार पेशाब आना, दर्द होना या पेशाब में खून आने की समस्या को न करें नजरअंदाज, तुरंत मिलें डॉक्टर से, हो सकते हैं ये गंभीर कारण

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अगर आपको बार-बार पेशाब आना, दर्द होना या पेशाब में खून आना जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें, जानें क्यों

बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों को अक्सर यूरिन संबंधी समस्याएं होने लगती हैं. कई बार यह एक आम समस्या हो सकती है.. लेकिन अगर यह लंबे समय तक बनी रहे.. या पेशाब का बहाव कमजोर हो, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यह प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 50 की उम्र के बाद हर पुरुष को प्रोस्टेट से जुड़ी जांच करानी चाहिए ताकि किसी भी बीमारी का समय रहते पता लगाया जा सके.

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि में होने वाला सबसे प्रचलित और आम कैंसर है. अधिक उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली इस बीमारी को आनुवांशिक बीमारी भी माना जाता है. समय रहते पता चल जाने पर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर मरीज को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैसे तो पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर काफी आम है, लेकिन इसके बावजूद लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. प्रोस्टेट कैंसर क्या है? यह क्यों होता है? और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है? इस बारे में जानने के लिएरूबी हॉल क्लिनिक, पुणे के यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी से बात की.

What is prostate cancer? Why does it occur? What are its symptoms? And how can it be controlled?

क्या हैं प्रोस्टेट
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी कहते हैं कि प्रोस्टेट एक छोटी अखरोट के आकार की ग्रंथि है, जो मुख्य रूप से पुरूष के यूरिनरी ब्लैडर के पेनिस के बीच में मौजूद होती है. इस ग्रंथि को प्रोस्टेट ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है. इस ग्रंथि का मुख्य कार्य वीर्य का उत्पादन करना है जिसमें शुक्राणु होते हैं. यह मूत्र और शुक्राणु के प्रवाह को नियंत्रित करता है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, यह ग्रंथि बढ़ने लगती है. इससे पेशाब करने में कठिनाई होती है. कई मामलों में, यह ग्रंथि कैंसरग्रस्त भी हो सकती है और इससे गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है.

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर को आमतौर पर एक जेनेटिक बीमारी माना जाता है. प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य, घातक वृद्धि ट्यूमर का कारण बनती है, जिसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है. इस कैंसर के लक्षण आमतौर पर पुरुषों में 40 की उम्र के बाद ही दिखते हैं. 40 के बाद जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ने लगती है, उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ने लगता है. डॉ. गर्ग बताते हैं कि उनके पास आने वाले 80 साल की उम्र के मरीजों में से 10 में से 8 मरीजों को प्रोस्टेट कैंसर होता है, जबकि 70 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में यह आंकड़ा 10 में से 4 मरीजों का है.

यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी का कहना है कि अगर प्रोस्टेट कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो दवाओं और इलाज की मदद से इस बीमारी के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है. मरीज की उम्र और उसका स्वास्थ्य उसके इलाज में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर्स हैं. अगर किसी मरीज का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है, तो वह इस बीमारी से लंबे समय तक लड़ सकता है, भले ही उसकी उम्र अधिक क्यों न हो. वहीं दूसरी ओर, यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर है और वह अन्य रोगों जैसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त है, तो प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारी उसके लिए घातक साबित हो सकती है.

किस प्रकार के पुरुषों को अधिक खतरा है?
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में यह रोग होने का खतरा अधिक होता है. इसके अलावा, अगर परिवार में पहले किसी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो तो सावधानी बरतना जरूरी है. गलत जीवनशैली, अनहेल्दी डाइट और मोटापा भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ाते हैं.

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी के मुताबिक, बार-बार पेशाब आना, विशेष रूप से रात में, पेशाब करने में कठिनाई, कमजोर या रुका हुआ पेशाब, और पेशाब के दौरान जलन या दर्द प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ ही मूत्र या वीर्य में रक्त आना, श्रोणि क्षेत्र या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द होना भी प्रोस्टेट कैंसर के कारण हो सकते हैं. यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि अलग-अलग लोगों में कैंसर के अलग-अलग लक्षण पाए जाते है. ऐसे लोग जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा हो और यदि 40 वर्ष के बाद उनमें यहां दिए गए लक्षण नजर आने लगे, तो उन्हें तुरंत कैंसर के लिए जांच करानी चाहिए. जैसे कि

  • पेशाब करने में परेशानी
  • मूत्र प्रवाह में रुकावट
  • बार-बार पेशाब आना, खासकर रात के समय में
  • यूरिनरी ब्लैडर को पूरी तरह से खाली करने में कठिनाई
  • पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना
  • पेशाब या वीर्य में खून आना
  • इजैक्युलेशन के दौरान दर्द होना

अगर आपमें भी ये लक्षण दिखें तो तुरंत ये टेस्ट करवाएं

पीएसए परीक्षण (प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन) – एक ब्लड टेस्ट जो प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों का पता लगाता है.

डिजिटल रेक्टल एग्जाम (डीआरई) – इसमें डॉक्टर प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच करके उसकी स्थिति का पता लगाते हैं.

बायोप्सी – यदि आवश्यक हो, तो प्रोस्टेट ऊतक का नमूना लेकर कैंसर का निदान किया जाता है.

प्रोस्टेट सुरक्षा के लिए क्या करें?

  • यदि परीक्षण रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए. इसके अलावा रिपोर्ट निगेटिव आने पर आपको ये उपाय अपनाने चाहिए, ताकि आप स्वस्थ रह सकें.
  • आपको अपना आहार बदलने की जरूरत है. डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, फाइबर और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करें.
  • रोजाना व्यायाम करें – स्वस्थ वजन बनाए रखें.
  • स्मोकिंग और शराब पीने से बचें.

50 वर्ष की आयु के बाद हर साल अपने प्रोस्टेट की जांच करवाएं
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी का कहना है कि यदि प्रोस्टेट कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है. इसलिए, यदि आपको बार-बार पेशाब आना, दर्द या रक्तस्राव जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें. तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें. सही समय पर जांच करवाएं औरस्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.

क्या जीवनशैली में बदलाव करके प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है?
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी का कहना है कि हां, जीवनशैली में बदलाव प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर स्वस्थ आहार, साथ ही लाल और प्रसंस्कृत मांस का कम सेवन खतरे को कम कर सकता है. टमाटर, सोया उत्पाद और ग्रीन टी जैसे लाइकोपीन युक्त खाद्य पदार्थ प्रोस्टेट स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं.

क्या मोटापा प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते खतरे से जुड़ा हुआ है
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी का कहना है कि रेगुलर एक्सरसाइज स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करती है, क्योंकि मोटापा आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते खतरे से जुड़ा हुआ है. धूम्रपान से बचना और शराब का सेवन सीमित करना भी ओवरऑल हेल्थ में योगदान दे सकता है. इसके अलावा, हाइड्रेटेड रहना और पर्याप्त विटामिन डी का स्तर सुनिश्चित करना सुरक्षात्मक लाभ प्रदान कर सकता है.नियमित चिकित्सा जांच और प्रोस्टेट स्क्रीनिंग (विशेष रूप से 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों या जिनके परिवार में पहले से ही कैंसर है) प्रारंभिक पहचान के लिए आवश्यक हैं. जबकि जीवनशैली में बदलाव अकेले प्रोस्टेट कैंसर को नहीं रोक सकते हैं, वे खतरे को कम करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण रूप से योगदान देते हैं.

युवा पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर कितना होता है खतरा
यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज रघुवंशी के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर को आम तौर पर वृद्ध पुरुषों की बीमारी माना जाता है, जिसके ज्यादातर मामले 50 की उम्र के बाद होते हैं. हालांकि, युवा पुरुष, खास तौर पर 30 और 40 की उम्र के पुरुष, पूरी तरह से जोखिम-मुक्त नहीं हैं. हालांकि दुर्लभ, कम उम्र में होने वाला प्रोस्टेट कैंसर ज्यादा आक्रामक हो सकता है. युवा पुरुषों के लिए पहला रिस्क फैक्टर्स में आनुवंशिकी (प्रोस्टेट या संबंधित कैंसर का पारिवारिक इतिहास), नस्ल (अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई पुरुषों में ज्यादा खतरा), और मोटापा और खराब आहार जैसे जीवनशैली कारक शामिल हैं. BRCA1 और BRCA2 जैसे कुछ वंशानुगत जीन उत्परिवर्तन (Hereditary gene mutations) भी संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं.

युवा पुरुषों को शुरुआती लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए, जैसे पेशाब करने में कठिनाई, पेशाब या वीर्य में खून आना और पैल्विक असुविधा, नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ वजन बनाए रखना और संतुलित आहार खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं. जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास मजबूत है, उन्हें समय पर पता लगाने और प्रबंधन के लिए शुरुआती जांच पर विचार करना चाहिए.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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