Friday, June 6, 2025

बदल गया बिहार के गया शहर का नाम, CM नीतीश ने कैबिनेट की बैठक में दी मंजूरी

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Bihar: बिहार के पौराणिक और ऐतिहासिक शहर गया का नाम बिहार की नीतीश सरकार ने बदल दिया है. शहर का नाम बदलने के पीछे बिहार सरकार ने बताया है कि गया शहर विश्व के दो बड़े धर्मों हिंदू और बौद्ध धर्म के आस्था का केंद्र है. इसलिए यह बदलाव किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को पटना में 1 अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर अपनी कैबिनेट की बैठक की. इस बैठक में सरकार ने गया शहर का नाम बदलने के फैसले को मंजूरी दे दी है. बता दें कि गया शहर अपने पौराणिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. 

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अब इस नाम से जाना जाएगा गया शहर

इस शहर का नाम बदलने के पीछे सरकार ने बताया है कि गया पौराणिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व का केंद्र है. इसलिए इस शहर को “गया”  की जगह पर “गया जी” के नाम से जाना जाएगा. बता दें कि यह शहर बिहार के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है. यह शहर अपने पौराणिक कथाओं के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है. इसके साथ ही यह शहर विश्व के दो बड़े धर्म हिंदू और बौद्ध की आस्था का भी प्रमुख केंद्र है.   

गयासुर के नाम पर बसा शहर 

पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि गयासुर एक शक्तिशाली असुर था, जिसने भगवान विष्णु की तपस्या की और उनसे एक वरदान प्राप्त किया कि उसका शरीर सभी पापों को नष्ट करने वाला होगा. जब गयासुर ने इस शक्ति का दुरुपयोग करना शुरू किया, तो भगवान विष्णु ने उसे मारने का निर्णय लिया. गयासुर के शरीर को पृथ्वी पर गिरने से रोकने के लिए, भगवान विष्णु ने उसे अपने पैरों से दबा दिया और उसे पाताल में दबा दिया. गयासुर के शरीर को दबाने के लिए भगवान विष्णु ने जिस स्थान पर खड़े होकर उसे दबाया था, वह गया शहर बन गया. यह शहर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहां लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. कथा के अनुसार, गयासुर के शरीर पर किए गए पिंडदान और श्राद्ध से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है और उन्हें शांति प्राप्त होती है. 

गया शहर में ही महात्मा बुद्ध को हुई ज्ञान की प्राप्ति

बौद्ध धर्म के ग्रंथ के मुताबिक महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति भी बोधगया में हुई थी, जो वर्तमान में गया में स्थित है. ग्रंथ के मुताबिक  बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर महात्मा बुद्ध ने कठोर तपस्या की और अंततः ज्ञान प्राप्त किया. इस पीपल के पेड़ को अब बोधि वृक्ष कहा जाता है और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है. 

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