भारत में स्वाइन फ्लू (H1N1) के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग इलाकों में हजारों संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2024 तक, बीमारी ने 20,414 से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया था और उनमें से 347 की मौत हो गई थी. ज्यादातर यह इस फ्यू की चपेट में दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि स्वाइन फ्लू क्या है, इसके मामले क्यों बढ़ रहे हैं और खुद को कैसे सुरक्षित रखें …
स्वाइन फ्लू (H1N1) क्या है?
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, स्वाइन फ्लू, जिसे इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) भी कहा जाता है, H1N1 वायरस के कारण होने वाला रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है. स्वाइन-मूल H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस, मूल रूप से सूअरों में पाया गया था और बाद में यह मनुष्यों में भी फैल गया. इस वायरस के कारण साल 2009 में एक महामारी आई थी. स्वाइन फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू जैसे ही होते हैं, जिसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान शामिल हैं. गंभीर स्थिति में, यह निमोनिया और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.
दरअसल, वायरल बुखार और स्वाइन फ्लू के लक्षण लगभग एक समान होते हैं. जिसके कारण मरीज कई बार बीमारी की पहचान नहीं कर पाते हैं. मरीज को लगता है कि वह वायरल बुखार से पीड़ित है, लेकिन असल में वह स्वाइन फ्लू होता है. ऐसे में चिकित्सकों ने मरीजों से खास ऐहतियात बरतने की अपील की है.
भारत में मामलों में उछाल क्यों देखा जा रहा है?
भारत में, इन्फ्लूएंजा संक्रमण आमतौर पर जनवरी और मार्च के बीच चरम पर होता है, उसके बाद अगस्त और अक्टूबर में. इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) और इन्फ्लूएंजा ए (H3N2) वायरस वर्तमान में मानव आबादी में प्रचलित हैं. ये इन्फ्लूएंजा वायरस के दो उपप्रकार हैं.
इन्फ्लूएंजा संक्रमण के फैलने के कई फैक्टर्स हैं, जिसमें शामिल है…
मौसमी पैटर्न: मानसून और सर्दियों के महीने वायरस के विकास और प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करते हैं.
यात्रा और समारोहों में वृद्धि: महामारी के बाद से, सामाजिक संपर्क और यात्रा में वृद्धि हुई है, जिससे वायरस अधिक आसानी से फैल गया है.
बदलते मौसम: COVID-19 समस्याओं और तनाव से संबंधित स्वास्थ्य कठिनाइयों के परिणामस्वरूप कई लोगों की प्रतिरक्षा कमजोर हो गई है. जिसके कारण इन्फ्लूएंजा संक्रमण आसानी से ऐसे लोगों को अपने चपेट में ले लेता है.
वैक्सीनेशन में देरी: कई लोग इसके प्रति संवेदनशील होते हैं क्योंकि उन्हें फ्लू के टीके के बारे में जानकारी नहीं होती और वे टीके नहीं लगवा पाते.
स्वाइन फ्लू कैसे फैलता है?
स्वाइन फ्लू नियमित फ्लू वायरस की तरह ही फैलता है. जिनमें शामिल है…
व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क: संक्रमित व्यक्ति की खांसने, छींकने या बोलने से निकली बूंदें वायरस को फैला सकती हैं.
संक्रमित जगहों को छूना: वायरस हैंडरेल, टेबल और दरवाजे के हैंडल जैसी सतहों पर घंटों तक रह सकता है, जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है.
बीमार लोगों के साथ नजदीकी संपर्क: जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ समय बिताते हैं जिसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो वायरस के संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ जाता है.
स्वाइन फ्लू से कैसे करें खुद का बचाव
हालांकि, स्वाइन फ्यू से बचने का कोई पक्का तरीका नहीं है, लेकिन इन उपायों का पालन करने से रिस्क को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जिसमें शामिल है…
बार-बार हाथ धोना: कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना. अल्कोहल-बेस्ड हैंड सैनिटाइजर भी प्रभावी हो सकते हैं.
मास्क पहनें: खास तौर पर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर, मास्क पहनने से संक्रमित बूंदों को अंदर जाने से रोकने में मदद मिलती है.
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए बैलेंस डाइट लें, रेगुलर एक्सरसाइज करें और पर्याप्त नींद लें.
संक्रमित व्यक्तियों के साथ नजदीकी संपर्क से बचें: अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति फ्लू जैसे लक्षण दिखा रहा है, तो सुरक्षित दूरी बनाए रखें.
टीका लगवाएं: फ्लू का टीका H1N1 सहित इन्फ्लूएंजा वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है.
सतहों को डिसइंफेक्ट करें: वायरल संक्रमण को रोकने के लिए अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से साफ करें.
श्वसन स्वच्छता का अभ्यास करें: खांसते या छींकते समय हमेशा अपना मुंह और नाक ढकें और टिश्यू को ठीक से फेंकें.
क्या स्वाइन फ्लू के लिए दवाइयां हैं?
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि हां, स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) और जानामिविर (रेलेंजा) जैसी एंटीवायरल दवाइयां सुझाई जाती हैं. ये दवाइयां लक्षण शुरू होने के पहले 48 घंटों के भीतर लेने पर सबसे अच्छा काम करती हैं, जिससे बीमारी की गंभीरता और अवधि कम हो जाती है. हालांकि, इन्हें केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही लिया जाना चाहिए.
कब डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए?
हालांकि, हल्के फ्लू के लक्षणों का इलाज घर पर किया जा सकता है, लेकिन अगर आपको निम्न में से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें, जैसे कि…
- सांस लेने में तकलीफ या कठिनाई
- सीने में लगातार तकलीफ या दबाव
- भ्रम या चक्कर आना
- तीन दिनों से ज्यादा समय तक तेज बुखार रहना
- गंभीर उल्टी और डिहाइड्रेशन
(डिस्क्लेमर: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)