मध्य वर्ग अपनी जिस एक चिंता के समाधान के लिए हर साल बजट का इंतजार करता है, उसमें राहत देने के बावजूद बजट में व्यय और राजकोषीय विवेक के बीच जिस तरह का सावधानीपूर्ण संतुलन बनाया गया है, उसे देखते हुए अगर इसे एक गंभीर, जिम्मेदार और संतुलित बजट कहा जाए, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। हालांकि, करों का उत्तरोत्तर सरलीकरण और विनियामक छूट जैसे कुछ क्षेत्र हैं, जिनमें आगे भी सुधार के अवसर बने हुए हैं। फिर भी, संदेह नहीं कि यह एक व्यावहारिक बजट है, जो अर्थव्यवस्था को यकीनन अधिक समृद्ध और नवाचारी बनाने की दिशा में ले जाने का माद्दा रखता है।
केंद्रीय बजट-2025 लंबे समय से चली आ रही एक महत्वपूर्ण चिंता को संबोधित करता है : भारत के मध्यम वर्ग की वित्तीय भलाई। पिछले कई वर्षों में, मुद्रास्फीति, उच्च कर और स्थिर आय वृद्धि ने घरेलू बचत और खर्च को बाधित किया है। यह बजट कर कटौती और कल्याणकारी उपायों में मध्यम वर्ग को व्यापक रूप से शामिल करके उसे बहुत जरूरी राहत प्रदान करता है। साथ ही, यह बजट राजकोषीय विवेक, आर्थिक सुधारों और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारत के सतत विकास के मार्ग में प्रमुख तत्व हैं। आय स्लैब और संशोधित कर संरचना के आधार पर व्यक्तियों को 50,000 रुपये से लेकर अधिक राशि तक की कर बचत देखने को मिल सकती है, जिससे प्रयोज्य आय में वृद्धि होगी। संशोधित कर संरचना में सालाना 12.75 लाख रुपये तक की आय वाले वेतनभोगी कर्मचारियों को कोई कर नहीं चुकाना है, जिससे मध्यम वर्ग के परिवारों पर वित्तीय बोझ काफी हद तक कम हो गया है। हालांकि इसमें आगे और सरलीकरण की आवश्यकता है, विशेष रूप से, वर्तमान बहु-स्लैब संरचना के बजाय तीन-स्लैब प्रणाली को अपनाना, लेकिन समग्र रूप से कर राहत एक सकारात्मक कदम है।
वित्तीय अनुशासन : बजट में व्यय और राजकोषीय विवेक के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन बनाए रखा गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे को 4.8 फीसदी से घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया गया है, जो जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन का संकेत है। इसके अतिरिक्त, उधारी को समान स्तर पर रखा गया है, जिससे ऋण बाजार पर अतिरिक्त दबाव को रोका जा सके। नियंत्रित घाटे और अनुशासित उधारी से निजी क्षेत्र की तरलता में सुधार होगा, जिससे ब्याज दरें कम होंगी और निवेश के माहौल में सुधार होगा। सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया है, जिसमें उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है, जिनसे दीर्घकालिक आर्थिक लाभ होगा।
केंद्रीय बजट-2025 लंबे समय से चली आ रही एक महत्वपूर्ण चिंता को संबोधित करता है : भारत के मध्यम वर्ग की वित्तीय भलाई। पिछले कई वर्षों में, मुद्रास्फीति, उच्च कर और स्थिर आय वृद्धि ने घरेलू बचत और खर्च को बाधित किया है। यह बजट कर कटौती और कल्याणकारी उपायों में मध्यम वर्ग को व्यापक रूप से शामिल करके उसे बहुत जरूरी राहत प्रदान करता है। साथ ही, यह बजट राजकोषीय विवेक, आर्थिक सुधारों और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारत के सतत विकास के मार्ग में प्रमुख तत्व हैं। आय स्लैब और संशोधित कर संरचना के आधार पर व्यक्तियों को 50,000 रुपये से लेकर अधिक राशि तक की कर बचत देखने को मिल सकती है, जिससे प्रयोज्य आय में वृद्धि होगी। संशोधित कर संरचना में सालाना 12.75 लाख रुपये तक की आय वाले वेतनभोगी कर्मचारियों को कोई कर नहीं चुकाना है, जिससे मध्यम वर्ग के परिवारों पर वित्तीय बोझ काफी हद तक कम हो गया है। हालांकि इसमें आगे और सरलीकरण की आवश्यकता है, विशेष रूप से, वर्तमान बहु-स्लैब संरचना के बजाय तीन-स्लैब प्रणाली को अपनाना, लेकिन समग्र रूप से कर राहत एक सकारात्मक कदम है।वित्तीय अनुशासन : बजट में व्यय और राजकोषीय विवेक के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन बनाए रखा गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे को 4.8 फीसदी से घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया गया है, जो जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन का संकेत है। इसके अतिरिक्त, उधारी को समान स्तर पर रखा गया है, जिससे ऋण बाजार पर अतिरिक्त दबाव को रोका जा सके। नियंत्रित घाटे और अनुशासित उधारी से निजी क्षेत्र की तरलता में सुधार होगा, जिससे ब्याज दरें कम होंगी और निवेश के माहौल में सुधार होगा। सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया है, जिसमें उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है, जिनसे दीर्घकालिक आर्थिक लाभ होगा।एमएसएमई एवं स्टार्टअप को समर्थन : भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को नीतिगत उपायों के माध्यम से महत्वपूर्ण समर्थन मिला है। ऋण गारंटी योजना को बढ़ाने और मुद्रा योजना के तहत ऋण सीमा बढ़ाने से पूंजी तक आसान पहुंच होगी, उद्यमशीलता और छोटे व्यवसाय के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा। सबसे उल्लेखनीय घोषणाओं में से एक है स्टार्टअप के लिए समर्पित 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन, जो मौजूदा 10,000 करोड़ रुपये के योगदान का पूरक है। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। करीब 50,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा कोष भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की बढ़ती पूंजी जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करेगा। डीप-टेक इनोवेशन पर सरकार का नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना एक सकारात्मक कदम है, जो प्रौद्योगिकी-संचालित उद्योगों में अत्याधुनिक प्रगति को बढ़ावा देता है।सरल होंगी प्रक्रियाएं : भारत का विनियामक वातावरण जटिल बना हुआ है। यह बजट उसे सरलीकृत करने की दिशा में कदम उठाता है। एक नई प्रस्तावित विनियामक समिति गैर-वित्तीय विनियमनों की देखरेख करेगी, जबकि मौजूदा वित्तीय विनियामक निकाय वित्तीय क्षेत्र के नियमों को सुव्यवस्थित करेंगे। इन परिवर्तनों का उद्देश्य लालफीताशाही को कम करना और यह सुनिश्चित करना है कि व्यवसाय अधिक आत्मविश्वास और दक्षता के साथ काम कर सकें। विशेष रूप से भारतीय रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं का अधिक लचीला दृष्टिकोण व्यापार सुगमता को बढ़ाएगा और वैश्विक वित्तीय केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा का समर्थन करेगा।कृषि को मजबूती और ग्रामीण विकास : कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लचीलेपन को बढ़ाने के उद्देश्य से ऋण प्रवाह में वृद्धि की गई है। कम उत्पादकता से जूझने वाले 100 जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लक्षित हस्तक्षेप ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को ऊपर उठा सकें। सरकार ने उच्च उपज वाली फसलों के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिससे 170 लाख किसानों को लाभ होगा और सब्सिडी वाले ऋण की सीमा में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की शुरुआत कृषि उत्पादकता और स्थिरता को और बढ़ावा देगी, जिससे औद्योगिक विकास ग्रामीण विकास के साथ जुड़ता है।
समावेशी विकास और सामाजिक कल्याण : इस बजट का मुख्य विषय समावेशी विकास है, जिसमें किसानों, युवाओं, महिलाओं और वंचित क्षेत्रों के लिए बढ़ा हुआ समर्थन घोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य समान विकास और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है। स्वास्थ्य सेवा में एक बड़ी राहत के रूप में 36 जीवन रक्षक दवाओं और औषधियों को मूल सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है, जिससे लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण उपचार अधिक सुलभ और किफायती हो गए हैं।
आर्थिक लचीलापन : कुल प्राप्तियों के साथ सरकार का सकल कर संग्रह बेहतर बना हुआ है, जो मजबूत वृद्धि का भी प्रमाण है। 2025-26 के लिए अनुमानित राजस्व में मामूली समायोजन के, खासकर व्यक्तिगत कर संग्रह में, जो रिफंड से पहले ही सकल आधार पर काफी बढ़ गया है, कर अनुपालन के उच्च बने रहने के संकेत मिलते हैं। यह उपरिगामी रुझान एक लचीली अर्थव्यवस्था को रेखांकित करता है, जिसमें निरंतर राजस्व का प्रवाह दिखता है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूत आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है।आगे की राह : यह बजट राजकोषीय अनुशासन को रणनीतिक निवेशों के साथ संतुलित करते हुए सतत विकास का एक ठोस आधार निर्मित करता है। मध्य वर्ग को कर राहत व एमएसएमई व स्टार्टअप को वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाला यह बजट दीर्घकालीन आर्थिक लचीलेपन को लेकर प्रतिबद्धता का संकेत देता है। विनियामक सरलीकरण, पूंजी में वृद्धि व्यय, और क्षेत्र-विशिष्ट सुधार एक दूरदर्शी दृष्टिकोण का संकेत देते हैं। कुछ क्षेत्र, जैसे स्टार्टअप में गहरे निवेश, करों का उत्तरोत्तर सरलीकरण और विनियामक छूट में आगे भी सुधार के अवसर बने हुए हैं। कुल मिलाकर, बजट एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो भारत के अधिक समृद्ध और नवाचारी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में विकास पथ को मजबूत करता है। मोहनदास पई लेखक प्रख्यात विचारक, एरियन कैपिटल के चेयरमैन, पद्मश्री से सम्मानित और इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ और बोर्ड सदस्य हैं।