फर्जी बैंक गारंटी पर ठेका लेने वाली दो प्लेसमेंट एजेंसियों पर एफआईआर दर्ज होते ही ईडी की एंट्री होगी। शराब घोटाला मामले में पहले से जांच कर रही ईडी इस मामले को भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांचेगी। इन एजेंसियों ने हजारीबाग और धनबाद में फर्जी बैंक गारंटी पर मैनपावर आपूर्ति का ठेका लिया था। फिलहाल एफआईआर कब दर्ज होगी यह अभी तय नहीं है
रांची। फर्जी बैंक गारंटी पर ठेका लेने वाली राज्य की दो प्लेसमेंट एजेंसियों पर एफआईआर होते ही ईडी की एंट्री हो जाएगी।राज्य में पहले से शराब घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी इस केस को भी अपनी जांच के अधीन लेगी। हालांकि, एफआईआर कब होगा, यह तय नहीं हो सका है।पिछले एक साल से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग दोनों ही प्लेसमेंट एजेंसियों पर प्राथमिकी दर्ज करने के बिंदु पर कानूनी सलाह ले रही है। संबंधित फाइल पर विधि विभाग से मंतव्य लिया जा रहा है।
इसके बावजूद उन प्लेसमेंट एजेंसियों को न तो काली सूची में डाला गया और न ही उनके विरुद्ध कहीं प्राथमिकी ही दर्ज की गई।
विजन ने पंजाब एंड सिंध बैंक और मार्शन ने बंधन बैंक का दिया था फर्जी बैंक गारंटी
शिकायत पर जेएसबीसीएल ने दोनों ही प्लेसमेंट एजेंसियों की बैंक गारंटी की जांच कराई। धनबाद में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसी विजन हॉस्पिटालिटी सर्विस एंड कंस्ल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड ने पंजाब एंड सिंध बैंक की नई दिल्ली के गीता कॉलोनी शाखा की बैंक गारंटी दी थी।उक्त बैंक ने जेएसबीसीएल को 31 जनवरी 2024 को ही लिखित रूप से सूचित किया था कि उक्त बैंक गारंटी फर्जी है।इसी तरह हजारीबाग में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी प्राइवेट लिमिटेड ने बंधन बैंक कोलकाता की बैंक गारंटी दी थी। उक्त बैंक ने जेएसबीसीएल को दो मार्च 2024 को जानकारी दी थी कि उक्त बैंक गारंटी फर्जी है।
अधिवक्ता ने भी की थी ऑनलाइन शिकायत, अधिकारियों पर मिलीभगत का लगाया था आरोप
झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार ने डोरंडा थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए झारखंड ऑनलाइन एफआईआर सिस्टम नामक पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत की थी।उनका आरोप था कि फर्जी बैंक गारंटी पर प्लेसमेंट एजेंसियों को कार्य आवंटित करना अधिकारियों की मिलीभगत से संभव है। यह आर्थिक अपराध का बड़ा उदाहरण है।इन दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों पर शराब बिक्री के करोड़ों रुपये अब तक जमा नहीं करने के भी आरोप हैं। इसके बावजूद अधिकारी इनपर मेहरबान हैं। अधिवक्ता ने 17 अप्रैल को ऑनलाइन शिकायत की थी। मामला झारखंड पुलिस के पास विचाराधीन है, अब तक एफआईआर नहीं हुआ है।