रामगढ़ के रजरप्पा में 1.34 एकड़ जमीन फर्जीवाड़े से बेची गई। रैयत ने अब डीड रद्द कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आरोप है कि साजिश रचकर जमीन हड़पी गई और भुगतान भी नहीं किया गया। रैयत अब ईडी में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में है ताकि जमीन घोटाले की जांच हो सके।
रांची। रामगढ़ जिले के रजरप्पा थाना क्षेत्र स्थित मायल मौजा में 3.5 एकड़ जमीन की हेराफेरी का मामला सामने आया है। इस 3.5 एकड़ जमीन में 1.34 एकड़ जमीन की जालसाजी कर खरीद-बिक्री किए जाने के मामले में रैयत अब डीड रद कराने के लिए कोर्ट की दौड़ लगा रहे हैं।
रैयत अब ईडी में भी इसकी शिकायत करने जा रहे हैं। ईडी राज्य में जमीन घोटाला मामले की जांच कर रही है। रांची के बाद बोकारो में वन भूमि घोटाले की जांच कर रही ईडी रामगढ़ के इस मामले को भी अपने अधीन ले सकती है।
रामगढ़ के रजरप्पा थाना क्षेत्र में 1.34 एकड़ जमीन का यह मामला मायल मौजा के खाता नंबर 157 व 535 से संबंधित है। इस मामले में रैयत चितरपुर निवासी शंकर कुमार चौरसिया ने 30 जनवरी 2025 को एक साजिश के तहत जमीन हड़पने के मामले में रजरप्पा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
उन्होंने साजिश रचने व धोखाधड़ी का आरोप रजरप्पा थाना क्षेत्र के सांडी गांव निवासी गोपाल चौधरी, रजरप्पा थाना क्षेत्र के चितरपुर निवासी पवन कुमार शर्मा तथा रजरप्पा के ही मारंग मरचा स्थित हरकी पौंडी कंस्ट्रक्शन के निर्देशक हर्ष कुमार चौधरी पर लगाया था।
हर्ष कुमार चौधरी की जमानत याचिका निचली अदालत से इस बिंदु पर खारिज हो चुकी है कि उन्होंने जमीन खरीदने के लिए तीन चेक से 67 लाख 25 हजार रुपये रैयत को दिए जाने का जिक्र किया था, लेकिन उस अवधि में उनके खाते में केवल 45 हजार 700 रुपये ही थे। कोर्ट ने इसी बिंदु को पकड़ा और उनकी जमानत याचिका खारिज की। वे फिलहाल, पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।
शिकायतकर्ता का है आरोप
शिकायतकर्ता शंकर कुमार चौरसिया ने रजरप्पा थाने में दर्ज प्राथमिकी में जानकारी दी है कि उन्होंने 19 जून 2023 को गोपाल चौधरी व पवन कुमार शर्मा के साथ उनकी 3.5 एकड़ जमीन के पावर के लिए निबंधित एकरारनामा किया था। इसमें किसी तरह का कोई लेन-देन नहीं हुआ था।
इकरारनामा में यह स्पष्ट रूप से निर्देशित था कि आरोपित जब भी उक्त संपत्ति की बिक्री करते हैं तो जमीन मालिक को उसकी कुल कीमत अदा करेंगे। जब दोनों के गलत क्रियाकलाप की उन्हें जानकारी हुई तो उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 19 दिसंबर 2024 को पावर वापस लेने व उसका उपयोग नहीं करने के लिए निर्देशित किया।
इसके बावजूद सभी आरोपितों ने रैयत के नोटिस की अवहेलना कर 1.34 एकड़ जमीन की कुल कीमत 1,27,77,500 रुपये का भुगतान भी नहीं किया और एक साजिश के तहत जमीन हड़प ली।
