हजारीबाग: होली का रंग मौज मस्ती के साथ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है. आज एक ऐसी ही अनोखी होली के बारे में बताने जा रहे है. जहां समाज के लोग जंगल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मुहिम से जुड़े हैं. ऐसे प्राकृतिक प्रेमियों ने जंगल में होली मिलन समारोह मनाया और एक दूसरे को गुलाल लगाकर शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही वृक्षों को कैसे बचाया जाए, इसे लेकर मंथन किया.
जंगल के प्रति प्रेम और कृतज्ञता को दर्शाता है यह आयोजन
हजारीबाग के इचाक प्रखंड अंतर्गत छबेलवा वन में इस बार होली का आयोजन अनोखे अंदाज में देखने को मिला. जहां स्थानीय लोगों ने जंगल में पारंपरिक गीतों और वाद्ययंत्रों के साथ रंगों का त्योहार मनाया. इस मौके पर आयोजकों का कहना है कि पेड़-पौधे जीवन के अभिन्न मित्र हैं, क्योंकि यह हमें स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन देते करते हैं, इसी प्रेम और कृतज्ञता को दर्शाने के लिए जंगल में होली का आयोजन किया गया है. होली में इचाक प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी अंचल पदाधिकारी ने हिस्सा लिया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक अच्छी पहल है. लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है.
पारंपरिक लोकगीत गाकर किया सेलिब्रेट
आयोजन समिति के सदस्यों ने कहा कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए की गई है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए आग्रह किया है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें. कार्यक्रम के दौरान लोगों ने मिलकर पेड़ों पर गुलाल भी लगाया और पारंपरिक लोकगीत गाए. अब यह आयोजन क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग इसे प्रकृति संग होली मनाने की प्रेरणादायक पहल से जोड़कर देख रहे हैं.
प्रकृति के संग होली, संगीत और वन की रक्षा करना यह एक अलग संदेश समाज को तो दे ही रहा है. इसके साथ ही यह आपसी सौहार्द की भी मिसाल है. जहां समाज का हर एक वर्ग पेड़ों के साथ होली मनाई और एक दूसरे को शुभकामना दी.