रांची: स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने राज्य के सभी उपायुक्त और सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखा है. पत्र में सभी उपायुक्त को अपने अपने जिले में यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि किसी भी अस्पताल में इलाज के दौरान मरीजों की मौत होने के बाद शव को इसलिए नहीं रोक कर रखा जाए क्योंकि इलाज का बिल बकाया है.
संयुक्त सचिव ने बकाया बिलों के कारण मृतकों के शव परिजनों को न सौंपे जाने की घटनाओं के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का भी निर्देश सभी जिलों के डीसी और सीएस को दिया है. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के DO.No-IL.1105/02/2024-MS दिनांक-28.04.2025 के आलोक के झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सभी डीसी-सीएस को यह पत्र जारी किया है.
क्या लिखा है सरकार के संयुक्त सचिव द्वारा लिखे पत्र में
सरकार द्वारा जारी पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के प्रसंगाधीन पत्र (छायाप्रति संलग्न) द्वारा यह संज्ञान में लाया गया है कि कुछ अस्पतालों- स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा उपचार के पश्चात मृत व्यक्तियों के शवों को उनके परिजनों को सौंपने से केवल इस आधार पर मना किया जा रहा है कि उनके बिल भुगतान लंबित है. अस्पतालों -स्वास्थ्य सुविधाओं का उक्त कृत्य शोकाकुल परिजनों के लिए अनावश्यक मानसिक पीड़ा का कारण बनती है एवं नैतिक तथा मानवीय सिद्धांतों की अवहेलना करते है.
संयुक्त सचिव द्वारा जारी पत्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मरीजों के शिकायतों को सुलझाने एवं चिकित्सा सेवा को बेहतर करने हेतु “The Clinical Establishments (Registration and Regulation) Act, 2010” के अंतर्गत “Patients’ Rights and Responsibilities Charter” प्रतिपादित किया गया है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उक्त चार्टर को सभी चिकित्सा संस्थानों में प्रदर्शित करने हेतु अनुरोध भी किया गया है. उक्त चार्टर के अनुसार Release of dead body of a patient can not be denied for any reason by the hospitals”.
भारत सरकार द्वारा उक्त एक्ट के अधीन सभी चिकित्सा संस्थानों को लागू कानूनी एवं नैतिक दिशा-निर्देश का अनुपालन करते हुए मृत्यु उपरांत शव को शीघ्र एवं सम्मानपूर्वक सौंपs जाने हेतु निर्देशित करने का निर्देश दिया गया है.