Friday, April 25, 2025

पेयजल घोटाले में जेई ने किया बड़ा खुलासा, बोले- मंत्री 2.25 तो सचिव लेते थे 0.50 प्रतिशत का कमीशन

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झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 2.71 करोड़ के फर्जी निकासी मामले की जांच करते हुए ईडी ने 22 करोड़ 93 लाख से अधिक की फर्जी निकासी का खुलासा किया है। जूनियर इंजीनियर सुरेश कुमार महतो ने बताया कि ठेकेदारों को कार्यावंटन का 3.75% कमीशन देना होता था जिसमें मंत्री का हिस्सा 2.25% होता था। सुरेश कुमार के इस बयान का भी ईडी सत्यापन कर रही है।

रांची। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 2.71 करोड़ के फर्जी निकासी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के दौरान ईडी ने अब तक 22 करोड़ 93 लाख 42 हजार 947 रुपये की फर्जी निकासी का मामला पकड़ा है।

पूर्व में इससे जुड़े आरोपितों के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी और उनका बयान भी लिया था। इन्हीं ठिकानों में एक ठिकाना जूनियर इंजीनियर (जेई) सुरेश कुमार महतो से जुड़ा था, जहां से ईडी को 2 लाख 5 हजार रुपये नकदी मिले थे।

सुरेश कुमार महतो का रांची के मोरहाबादी स्थित रामकृष्ण मिशन कुसुम बिहार के पीछे स्थित आवास में ईडी ने छापेमारी की थी। जूनियर इंजीनियर सुरेश कुमार महतो ने पूछताछ में ईडी को बताया है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के टेंडर में ठेकेदारों को कुल कार्यावंटन के 3.75 प्रतिशत रुपये कमीशन के रूप में देने पड़ते थे

इन रुपयों में मंत्री का कमीशन 2.25 प्रतिशत, सचिव का 0.50 प्रतिशत, अभियंता प्रमुख का 0.50 प्रतिशत, जूनियर इंजीनियर का 0.02 प्रतिशत व अन्य के 0.75 प्रतिशत कमीशन बंधे हुए थे।

जूनियर इंजीनियर सुरेश कुमार महतो ने अपने बयान में तत्कालीन सचिव प्रशांत कुमार, पूर्व सचिव राजेश कुमार शर्मा, मनीष रंजन और मस्तराम मीणा तक कमीशन की राशि पहुंचने की बात स्वीकारी है।

हालांकि, उसके बयान में कितनी सच्चाई है, इसका ईडी पता लगा रही है। सुरेश कुमार महतो ने ईडी को यह भी बताया है कि तत्कालीन विभागीय मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर को उनके निजी सचिव हरेंद्र सिंह के माध्यम से कमीशन के रूप में कुल कार्यावंटन के 2.25 प्रतिशत राशि पहुंचती थी।

जो ठेकेदार कमीशन देने में आनाकानी करते, उनका कार्यावंटन रद कर दिया जाता था। सुरेश कुमार के इस बयान का भी ईडी सत्यापन कर रही है।

बयान की सत्यता की जांच में जुटी है ईडी

ईडी के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि किसी भी संदिग्ध आरोपितों के बयान में जो तथ्य सामने आते हैं, उससे संबंधित ठोस सबूत नहीं मिले तो उस बयान का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

जूनियर इंजीनियर सुरेश ने जो बयान दिया है, उसकी सत्यता की जांच चल रही है। सबूत जुटाए जा रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद ही आरोपों के संबंध में ठोस जानकारी सामने आ पाएगी।

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