Wednesday, January 29, 2025

पुणे में तेजी से फैल रहा है खतरनाक गुइलेन बैरे सिंड्रोम, बढ़ रही मरीजों की संख्या, जानें क्या है यह बीमारी – GUILLAIN BARRE SYNDROME GBS

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पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों ने राज्य में चिंता बढ़ा दी है. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है, जो गुइलेन-बैरी सिंड्रोम से पीड़ित था. मृतक पुणे में काम करता था और अपने गृह जिले सोलापुर गया हुआ था. बता दें, 26 जनवरी 2025 तक, महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कुल 101 मामले सामने आए हैं. इन मामलों में से 81 पुणे नगर निगम (पीएमसी) से, 14 पिंपरी चिंचवड़ से और 6 जिले के अन्य हिस्सों से आए हैं.

प्रभावित व्यक्तियों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं, जिनमें से 16 मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर पर हैं. बता दें, गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है. इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है. इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिक्रिया
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र में जीबीएस के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की है. उन्होंने जिले के निवासियों को पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और ताजा और स्वच्छ भोजन खाने पर जोर देते हुए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और कोई भी लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल में जाएं.

रोग के लक्षण
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, पक्षाघात, चलने में कठिनाई या अचानक कमजोरी और दस्त शामिल हैं. राज्य सरकार पहले ही कई कदम उठा चुकी है. राज्य स्तरीय त्वरित प्रतिक्रिया टीम ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया, जबकि पुणे नगर निगम (पीएमसी) और ग्रामीण जिला अधिकारियों को निगरानी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. शहर के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. राज्य सरकार ने घर-घर निगरानी गतिविधियों में भी वृद्धि की है और पुणे जिले में कुल 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया है.

गुइलेन बर्रे सिंड्रोम के बारे में अधिक जानकारी

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, और इसका सटीक कारण अज्ञात है. हालांकि, यह आमतौर पर संक्रमण के बाद होता है. हाथ और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी आमतौर पर पहला लक्षण है. ये संवेदनाएं तेजी से फैल सकती हैं और पक्षाघात का कारण बन सकती हैं. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है और रिकवरी में तेजी लाई जा सकती है. उपचार में आमतौर पर प्लास्मफेरेसिस या अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन का उपयोग शामिल होता है.

स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने कहा कि पुणे में जीबीएस मरीजों की संख्या बढ़ी है. यह पाया गया है कि जीबीएस तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. ऐसा पाया गया है कि पानी संक्रमण का कारण बनता है. अगर अस्पताल इस बीमारी के इलाज के लिए ज्यादा बिल वसूल रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

  • क्या हैं बीमारी के लक्षण- जीबीएस से संक्रमित मरीज के लक्षणों में दस्त, पेट दर्द, बुखार और मतली या उल्टी शामिल हैं. जीबीएस दूषित पानी या भोजन खाने से हो सकता है. संक्रमण से रोगी को दस्त और पेट दर्द हो सकता है.
  • नागरिकों को किस बात से सावधान रहना चाहिए? स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे उबला हुआ पानी पीने का ध्यान रखें, खुली जगहों पर बासी खाना खाने से बचें. स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिकों को सलाह दी जाती है कि यदि उन्हें हाथ और पैर की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी का अनुभव हो तो वे अपने पारिवारिक डॉक्टर या नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाएं.

क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
खुली जगहों पर बासी खाना खाने से बचना चाहिए साथ ही पानी उबालकर पीने चाहिए. इसके अलावा, अगर आपको अपने हाथों और पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

विशेषज्ञों ने कहा, पनीर, चावल, चीज इन खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया तेजी से फैलाते हैं. पनीर, पनीर ये डेयरी उत्पाद हैं इनमें लिस्टेरिया, साल्मोनेला बैक्टीरिया का प्रसार अधिक होने की संभावना है. इसलिए अब इन खाद्य पदार्थों को स्टोर करके नहीं खाना चाहिए.

आगे क्या होगा?
स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है. यदि आपको जीबीएस का कोई भी लक्षण दिखे तो कृपया तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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