पाकुड़ : मंईयां सम्मान योजना के हजारों लाभुकों को इन दिनों बैंक खाते में सहायता राशि नहीं पहुंचने के कारण मानसिक व शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या से निजात पाने के लिए मंईयां सम्मान योजना के सैकड़ों लाभुक प्रतिदिन प्रखंड क्षेत्र ही नहीं बल्कि समाहरणालय का भी चक्कर लगा रहे हैं, बावजूद इसके उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है और न ही बैंक खाते में राशि पहुंच रही है.
महिलाओं ने बताया कि प्रखंड कार्यालय व बैंकों में वे सुबह आठ बजे से ही आ जाती हैं. एक महिला ने बताया कि उनके बैंक खाते में नवंबर माह के बाद मंईयां सम्मान योजना की राशि नहीं आई है. इससे लाभुकों में सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन के प्रति काफी आक्रोश है.
मंईयां सम्मान योजना के लाभुक व लाभुक की पात्रता वाली महिलाएं, जिनमें 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी युवतियां शामिल हैं, प्रतिदिन कंप्यूटर ऑपरेटर कक्ष के सामने घंटों कतार में खड़े रहने को विवश हैं. लाभुकों को आधार नंबर को बैंक खाते से लिंक कराने के लिए प्रखंड क्षेत्र कार्यालय के साथ ही बैंकों में भी जाना पड़ रहा है, जबकि कुछ को पूर्व में जमा किए गए फॉर्म में पाई गई त्रुटियों को ठीक कराने के लिए जाना पड़ रहा है.
इस मामले का आश्चर्यजनक पहलू यह है कि प्रखंड से लेकर जिला तक के अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलना नहीं चाहते हैं. समाज कल्याण विभाग के आंकड़े के मुताबिक, मंईयां सम्मान योजना के तहत पाकुड़ जिले के 1 लाख 72 हजार 381 लाभुकों के बैंक खाते में एक-एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता भेजी गई ताकि उनकी आर्थिक सुरक्षा और कल्याण को बढ़ावा मिलता रहे.
मार्च 2025 तक जिले में 1 लाख 20 हजार लाभुकों के बैंक खाते में राशि पहुंच चुकी है तथा शेष लगभग 52 हजार लाभुकों को राशि भुगतान की प्रक्रिया चल रही है. इन दिनों मंईयां योजना के जिन लाभुकों के खाते में राशि नहीं पहुंची है, वे घंटों लाइन में लगकर कंप्यूटर ऑपरेटर से कारण जान रहे हैं और फिर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है. वहीं ऑपरेटर बता रहा है कि योजना की आधिकारिक वेबसाइट नहीं खुल रही है.
कई महिलाओं का कहना है कि दिसंबर 2024 तक इस योजना का लाभ उन्हें मिला, जिससे उन्हें काफी खुशी हुई थी, लेकिन सरकार द्वारा आर्थिक सहायता राशि ढाई हजार रुपये प्रतिमाह करने के बाद उनके बैंक खाते में राशि आनी बंद हो गई तो बैंकों समेत प्रखंड अंचल कार्यालय के साथ-साथ समाहरणालय का चक्कर लगाने को मजबूर हैं.